कुपवाड़ा में शहीद भारतीय जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा वाराणसी, नम आंखों से दी गई श्रद्धांजलि

जम्‍मू कश्‍मीर के कुपवाड़ा में शहीद दोनों भारतीय जवानों का पार्थिव शरीर शरीर मंगलवार को वाराणसी पहुंचेगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 11:52 AM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 08:20 PM (IST)
कुपवाड़ा में शहीद भारतीय जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा वाराणसी, नम आंखों से दी गई श्रद्धांजलि
कुपवाड़ा में शहीद भारतीय जवान का पार्थिव शरीर पहुंचा वाराणसी, नम आंखों से दी गई श्रद्धांजलि

वाराणसी, जेएनएन। पाकिस्‍तानी सेना की ओर से 20 अक्‍टूबर को अचानक शुरू की गई गोलीबारी में सेना के दो जवान हवलदार पदम बहादुर श्रेष्ठ और राइफनमैन गमिल कुमार श्रेष्ठ जम्‍मू कश्‍मीर में शहीद हो गए थे। जम्‍मू कश्‍मीर के कुपवाड़ा में शहीद दोनों भारतीय जवानों में एक का पार्थिव शरीर मंगलवार दोपहर बाद विमान से वाराणसी पहुंचा।

लाल बहादुर शास्‍त्री बाबतपुर स्थित अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट से शहीद जवानों का पार्थिव शरीर छावनी स्थित 39 जीटीसी परिसर में पहुंचेगा जहां पर शहीद जवानों को सलामी समारोह की तैयारियां की गई हैं। परिसर में जवानों को पुष्‍पांजलि अर्पित करने के बाद अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। छावनी में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शहीदों के परिजन भी शामिल होंगे। 

जम्मू कश्मीर में शहीद राइफनमैन गमिल कुमार श्रेष्ठा का पार्थिव शरीर मंगलवार को एयर इंडिया के विमान एआई433 से दोपहर बाद 3:10 बजे वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा। हवाई अड्डे के पुराने टर्मिनल भवन के समीप मेजर हरीश विजेंद्रम व सेना के अन्य अधिकारियों तथा सीआईएसएफ के कमांडेंट सुब्रत झा, एयरपोर्ट निदेशक आकाशदीप, एडीएम प्रोटोकाल, एसपीआरए, सीओ फूलपुर द्वारा शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गयी। उसके बाद पार्थिव शरीर लेकर 39 जीटीसी के जवान सेना के वाहन से लेकर 39 जीटीसी चले गए। अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर से विमान द्वारा शहीद जवान का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया, वहां से एयर इंडिया के विमान एआई 433 वाराणसी एयरपोर्ट लाया गया।

गर्व है मेरा बेटा भारत के लिए शहीद हुआ

मेरे बेटे ने गोलीबारी में अपनी जान भारत के लिए गंवाई है, इसके लिए मुझे गर्व है। गामिल को शुरू से शौक था कि वह गोरखा रेजिमेंट में भर्ती हो और भारत की सीमाओं की सुरक्षा करे। लेकिन यह नहीं मालूम था कि इतनी जल्दी वह हम लोगों को छोड़ कर चला जाएगा। मुुझे जिंदगी भर याद रहेगा कि मैं शहीद की मां हंू।

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