आजमगढ़ में तीमारदारों ने उठाया आंखों के आपरेशन में भ्रष्टाचार का पर्दा, तीन से पांच हजार रुपये वसूले जा रहे

तीमारदारों ने आंखों के आपरेशन में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दा उठाया है। एक-एक मरीज उनके तीमारदार से तीन से पांच हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। सरकार ने गरीबों के ऑपरेशन के लिए एक रुपये का शुल्क निर्धारित किया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sun, 04 Apr 2021 08:20 AM (IST) Updated:Sun, 04 Apr 2021 08:20 AM (IST)
आजमगढ़ में तीमारदारों ने उठाया आंखों के आपरेशन में भ्रष्टाचार का पर्दा, तीन से पांच हजार रुपये वसूले जा रहे
तीमारदारों ने आंखों के आपरेशन में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दा उठाया है।

आजमगढ़, जेएनएन। तीमारदारों ने आंखों के आपरेशन में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दा उठाया है। एक-एक मरीज, उनके तीमारदार से तीन से पांच हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। सरकार ने गरीबों के ऑपरेशन के लिए एक रुपये का शुल्क निर्धारित किया है। दलाल इस खेल में सक्रिय हैं, उन्हेें रुपये देने के बाद ही आपरेशन की डेट मिल पाती है। दिलचस्प यह कि अरसे से चल रहे वसूली के इस खेल से जिम्मेदार खुद को अनभिज्ञ बता रहे हैं।

सरकार जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर गंभीर है। मंडलीय अस्पताल में इसके लिए एक रुपये की पर्ची कटाकर आंखों का आपरेशन कराने की व्यवस्था है। अस्पताल में बकायदा दो-दो डाक्टर, स्वास्थकर्मी, आपरेशन थिएटर समेत कई तरह की जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उसके बावजूद जनता ठोकरें खाने को मजबूर है। कंधरापुर क्षेत्र के लड्डूपार गांव निवासी बसंता ने बताया कि मोतियाबिंद का आपरेशन कराई हूं। चार हजार रुपये देने पड़े हैं। शहर के हाफिजपुर मोहल्ला निवासी कृष्ण प्रताप सिंह व मानती ने भी मोतियाबिंद का आपरेशन कराया है। दोनों लोगों के छह हजार रुपये लगे हैं। शहर कोतवाली के दलसिंगार मोहल्ला निवासिनी हबीबुनिशा ने भी तीन हजार रुपये खर्च होने की पुष्टि की है। मेंहनगर के बरवा गांव निवासी अमरदेव यादव ने भी तीन हजार रुपये देने की बात कही।

मुफ्त में होने वाले आपरेशन के लिए रुपये देने के सवाल पर चौंकाने वाले जवाब मिले। इनका कहना है कि मुझे भी सरकार की व्यवस्था की जिम्मेदारी है। यहां डाक्टर तो ढूंढऩे से नहीं मिलते तो किससे अपनी परेशानी बताई जाए। आपरेशन से पूर्व यहां मौजूद लोग रुपये वसूलते हैं। उन्हें रुपये देने के बाद आपरेशन की तिथि मिलने में देर नहीं लगती। रुपये नहीं देने पर पहले आए लोगों को बाईपास कर पीछे आए लोगों को आपरेशन की तिथि दे दी जाती है। ऐसे में गरीब करे भी तो क्या? आंखों का आपेरशन कराकर अपना काम-काज देखे कि लड़ाई लड़े।

बोले अधिकारी

मंडलीय अस्पताल की जिम्मेदारी एसआइसी की होती है। आपके सवाल करने पर मेरे संज्ञान में रुपये लेकर आपरेशन की बात सामने आई है। मैं पत्र लिखकर इस बारे में सवाल करूंगा। दोषी पाए जाने पर जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -डा. एके मिश्र, सीएमओ।

बोले अधिकारी

यह गंभीर विषय है। लेंस ही नहीं तो आपरेशन हो कैसे रहा है। जांच तो कराऊंगा ही, यह भी सुनिश्चित की जाएगी कि लेंस की उपलब्धता पर ही आपरेशन किया जाए।  -डॉ. अनूप कुमार सिंह, एसआइसी। 

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