पराग ने समितियों का किया भुगतान, वाराणसी मंडल के चार जिलों में हैं 316 दुग्ध उत्पादन समितियां
पराग दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड ने मंडल के चारों जिलों की समितियों का 31 मई तक का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है। चंदौली वाराणसी गाजीपुर व जौनपुर की 316 समितियों को 3.56 करोड़ रुपये बकाया धनराशि का भुगतान किया गया है।
जागरण संवाददाता, चंदौली। पराग दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड ने मंडल के चारों जिलों की समितियों का 31 मई तक का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है। चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर व जौनपुर की 316 समितियों को 3.56 करोड़ रुपये बकाया धनराशि का भुगतान किया गया है। इससे श्वेत क्रांति को बढ़ावा मिलगा। पराग डेयरी पर समितियों का काफी दिनों से बकाया चल रहा था। आर्थिक मदद के अभाव में दर्जनों समितियां निष्क्रिय हो चुकी हैं। दुग्ध उत्पादन भी ठप हो चुका है। पशुपालकों का भुगतान न होने से सक्रिय समितियां भी लड़खड़ाने लगीं। हालांकि डेयरी की ओर से शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया। इससे पशुपालकों में उत्साह बढ़ा है।
दुग्घ उत्पादक सहकारी संघ से जिले के सैकड़ों पशुपालक जुड़े हैं। संघ की ओर से जिले में लगभग 200 दुग्ध उत्पादन समितियां बनाई गई थीं। पशुपालक इन समितियों पर सुबह और शाम लगभग 14 हजार लीटर दूध पहुंचाते हैं। समितियों के जरिए उन्हें भुगतान होता है। संघ की ओर से समितियों को नियमित भुगतान नहीं किया गया। इससे पशुपालकों का भुगतान फरवरी से ही अटक गया था। लापरवाही की वजह से जिले में लगभग 50 समितियां निष्क्रिय हो चुकी हैं। हालांकि संघ ने अब व्यवस्था में सुधार की पहल की है। जनपद ही नहीं बल्कि मंडल के चारों जिलों की 316 समितियों का 31 मई तक का 3.56 करोड़ रुपये भुगतान कर दिया गया। इसमें चंदौली की 151 समितियां शामिल हैं। हालांकि इनमें से कुछ सक्रिय नहीं हैं।
चंदौली देता है सबसे अधिक दूध
पराग दूग्ध उत्पादन सहकारी संघ के महाप्रबंधक अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि मंडल के चारों जिलों में सबसे अधिक चंदौली से दूध मिलता है। यहां से लगभग आठ हजार लीटर दूध रोजाना मिलता है। जबकि शेष तीन जनपदों से दो-दो हजार लीटर दूध उपलब्ध कराया जाता है। इससे रामनगर स्थित कारखाने में दही, छाछ, पनीर, घी, आइसक्रीम समेत तमाम उत्पाद तैयार किए जाते हैं। समितियों का 31 मई तक के बकाए का भुगतान कर दिया गया है।
पशुपालकों से अपील
पराग दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ के डायरेक्टर अनूप पाठक ने पशुपालकों से अधिक से अधिक दूध उपलब्ध कराने की अपील की है। कहा, कृषि प्रधान जनपद में पशुपालकों की संख्या भी अच्छी-खासी है। पशुपालकों के सहयोग से डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।