कुरान पढ़कर वेदों पर लिखने वाले पद्मश्री डा. हनीफ खां शास्त्री का निधन, देश-विदेश में प्रवचन भी करते थे

दुद्धी के जुगनू चौक के रहने वाले पद्मश्री डा. हनीफ खान शास्त्री का रविवार को दिल्ली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। 65 वर्षीय शास्त्री लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 26 Jan 2020 01:45 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jan 2020 10:10 AM (IST)
कुरान पढ़कर वेदों पर लिखने वाले पद्मश्री डा. हनीफ खां शास्त्री का निधन, देश-विदेश में प्रवचन भी करते थे
कुरान पढ़कर वेदों पर लिखने वाले पद्मश्री डा. हनीफ खां शास्त्री का निधन, देश-विदेश में प्रवचन भी करते थे

सोनभद्र, जेएनएन। दुद्धी के जुगनू चौक के रहने वाले पद्मश्री डा. हनीफ खान शास्त्री का रविवार को दिल्ली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। 65 वर्षीय शास्त्री लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें गत वर्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। वह कुरान, वेद, भगवद्गीता, उपनिषद, गीता, पुराण में समानता पर लिखते रहे। देश-विदेश में प्रवचन भी करते थे। डा. हनीफ खान शास्त्री के पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। मित्रों ने चंदा जुटा कर पढ़ाया। वे काफी गरीबी में पढ़े। बता दें कि गत वर्ष जनवरी में गीता और कुरान का संस्कृत में अनुवाद किया था। इसलिए पद्मश्री से नवाजा गया था। इससे पहले वर्ष 2009 में इन्हें  राष्ट्रीय सांम्प्रदायिक सद्भावना पुरस्कार मिला था। गीता और कुरान में सामंजस्य,  मोहंगीता, वेदों में मानवाधिकार सहित कुल आठ किताब लिखे थे।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़े

डा. हनीफ खां शास्त्री को साहित्य और शिक्षा के बीच असाधारण फर्क को समझाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वाराणसी के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संस्कृत से एमए किया और पुराण के बारे में गहन अध्ययन किया। आचार्य, शास्त्री और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। बाद में संस्कृत के विद्वान बने। नई दिल्ली के राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान डीम्ड यूनिवर्सिटी में बतौर संस्कृत प्रोफेसर सेवाएं दिये थे।

डा.  हनीफ को मिल चुके हैं ये सम्मान

-वर्ष 1994 में पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने 'वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री और सुरहफतेहा नाम पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 1996 में पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा ने 'गीता और कुरान में सामंजस्य' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 1998 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत ने 'वेदों में मानव अधिकार' पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 2003 में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें ' गायत्री मंत्र का वैदिक उपयोग' नामक पुस्तक के लिए सम्मानित किया।

-वर्ष 2011 में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके पी चिदंबरम ने उन्हें 'राष्ट्रीय सद्भावना सम्मान' से सम्मानित किया।

-वर्ष 2011 में कांची कामकोटि पीठाधीश के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने उन्हें 'नेशनल एमिनेंस अवार्ड' दिया।

-अखिल भारतीय विद्वत परिषद, वाराणसी ने उन्हें 'दारा शिकोह पुरस्कार' दिया।

-वर्ष 2013 में डाक्टर कर्ण सिंह ने उन्हें 'वसुंधरा रत्न' से सम्मानित किया।

क्या क्या लिखा

-मोहन गीता

-वेद और कुरान से महामंत्र गायत्री एवं सुरहफतेहा

-गीता व कुरान में सामंजस्य

-वेदों में मानव अधिकार

-बौद्धिक साहित्य में मानव कर्तव्य

-महामंत्र गायत्री में बौद्धिक उपयोग

-मानव अधिकार सुरक्षा का शंखनाद

-मंत्रशास्त्र व उद्योग

-यंत्र महिमा।

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