ओवरलोडिंग बनी 'यम', निकाल रही हाइवे का दम, प्रतिदिन हो रही जमकर वसूली

ओवरलोडिंग व वसूली के खेल में एनएच-2 की हालत बिगड़ती जा रही है। डाफी टोल प्लाजा से रोज 15 हजार से ज्यादा गाडिय़ां गुजरती हैं। जिनसे 45 लाख रुपये की प्रतिदिन वसूली होती है।

By Vandana SinghEdited By: Publish:Mon, 10 Jun 2019 02:23 PM (IST) Updated:Mon, 10 Jun 2019 07:37 PM (IST)
ओवरलोडिंग बनी 'यम', निकाल रही हाइवे का दम, प्रतिदिन हो रही जमकर वसूली
ओवरलोडिंग बनी 'यम', निकाल रही हाइवे का दम, प्रतिदिन हो रही जमकर वसूली

वाराणसी, जेएनएन। ओवरलोडिंग व वसूली के खेल में एनएच-2 की हालत बिगड़ती जा रही है। डाफी टोल प्लाजा से रोज 15 हजार से ज्यादा गाडिय़ां गुजरती हैं। जिनसे 45 लाख रुपये की प्रतिदिन वसूली होती है। इसमें 1500 ओवरलोड भारी वाहनों से करीब आठ लाख की अतिरिक्त वसूली रोजाना की जाती है। ओवरलोड भारी वाहनों के कारण रामनगर से मोहनसराय तक हाइवे खराब होता जा रहा है। इनके कारण सड़क पर गड्ढे बन चुके हैं। वहीं जिम्मेदारों की अनदेखी से करोड़ों की लागत से निर्मित राष्ट्रीय राजमार्ग जर्जर होने के साथ हादसों का कारण बन रहा है। खासकर रामनगर, विश्वसुंदरी पुल से लेकर डाफी टोल प्लाजा, नुवांव, अमरा अखरी, लाठियां, मोहनसराय में एनएच-2 काफी जर्जर है।

ये हाल तब है जब अवैध खनन और ओवरलोडिंग रोकने के लिए राज्य सरकार ने एक साल पहले जिला प्रशासन के साथ परिवहन विभाग को नकेल कसते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया था। सख्ती के कारण ओवरलोड गाडिय़ों की संख्या आधे से कम हुई थी, अब ये संख्या फिर से दोगुनी हो चुकी है।

दो वर्ष पूर्व डाफी टोल प्लाजा पर वाहनों के वजन के लिए मशीनें भी आईं थी। मशीन के आने के बाद तो टोल प्लाजा से आरटीओ कार्यालय प्रतिदिन रिपोर्ट भेजी जाने लगी। अगर कार्रवाई की रफ्तार यही रहती तो शायद ओवरलोडिंग पर काफी हद तक लगाम लग चुकी होती। कुल 1565 किलोमीटर लंबा एनएच-2 पूर्वांचल की आर्थिक जीवन रेखा है। ये कोलकाता से दिल्ली को जोडऩे के चलते दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल का मुख्य सड़क व्यापार मार्ग है।

खूब चलता है नंबर बदलने का खेल

ट्रक ड्राइवर और मालिकों ने आरटीओ से बचने के लिए नया तरीका ढूंढ निकाला है। इसमें गाडिय़ों का नंबर बदल कर टोलप्लाज़ा से पास कराया जा रहा है। इन ट्रकों में वो नंबर लगे होते हैं जो छोटे या सवारी वाहनों के होते हैं। परिवहन विभाग ने भी अब घर बैठे ही टोल प्लाजा की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक मालिकों को फोन कर मामला सलटाने का तरीका खोज लिया है। इसकी तस्दीक दो साल में ओवर लोड भारी वाहनों के खिलाफ किए गए ई चालान की संख्या से हो जाएगी।

कई माननीय और दबंगों की गाडिय़ां होती हैं पास

टोल प्लाजा पर लगभग रोजाना गाडिय़ों का काफिला निकलता है। टोल कर्मियों द्वारा रोकने पर आवाज आती है विधायक जी का है या अमुक साहब का। टोलप्लाज़ा के आंकड़ों के अनुसार प्रतिदिन माननीय और दबंगों के नाम पर 300 के ऊपर गाडिय़ां बिना टोल के पास की जाती हैं। इसमें 100  से ज्यादा ओवरलोड भारी वाहन होते हैं। डर और जान के खतरे के कारण कोई कर्मचारी भी इनसे पंगा लेना उचित नहीं समझता। जबकि इसी टोलप्लाजा पर बनारस के जिलाधिकारी की गाड़ी को वसूली के लिए रोक दिया गया था। यही नहीं एक से दो किलोमीटर जाने के लिए भी आम लोगों से दबाव बनाकर वसूली जाती है।

ओवरलोड होने पर एनएचएआई लगाएगा 10 गुना टोल

ओवरलोड गाडिय़ों से सड़क की स्थिति खराब होते देख राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग ने 10 गुना टोल वसूली के की कार्रवाई की योजना बना रहा है। हालांकि इस कार्रवाई से भी ओवरलोड वाहनों पर  लगाम नहीं लग पाएगी। जब तक अतिरिक्त माल को टोलप्लाज़ा पर ही खाली नहीं कराया जाता तब तक इन पर रोक लगना मुश्किल है। वहीं इस काम के लिए टोल प्लाजा जगह की कमी से जूझ रहे हैं।

हाइवे से गुजरने वाले ओवरलोड ट्रकों पर नकेल कसने के लिए शासन ने उन्हें दस गुना जुर्माना करने का आदेश दिया है लेकिन वे नहीं करते। उनके ओवरलोड वाहनों की सूची के आधार पर चालान किया जाता है लेकिन उसमें दूसरे गाड़ी मालिक फंस जाते हैं, क्योंकि ट्रक मालिक टोल प्लाजा से फर्जी नंबर लगाकर गुजरते हैं। ऐसे में बिना जांचे ओवरलोड ट्रकों का चालान नहीं किया जाता है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि वाहनों को बंद करने के लिए जिले में जगह नहीं है, न ही पुलिस वाहनों को थाने में लेती है।

-डीके त्रिपाठी, उप परिवहन आयुक्त वाराणसी परिक्षेत्र ।

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