मऊ जिले में एक लाख से अधिक पशुओं को लगाया जाएगा गलाघोटूं से बचाने का टीका

बारिश शुरू हो गई है। ऐसे में पशुओं में गलाघोटूं रोग तेजी से फैलेगा। इसे देखते हुए शासन-प्रशासन ने कमर कस लिया है। बारिश शुरू हो गई है। ऐसे में पशुओं में गलाघोटूं रोग तेजी से फैलेगा। इसे देखते हुए शासन-प्रशासन ने कमर कस लिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:09 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 04:09 PM (IST)
मऊ जिले में एक लाख से अधिक पशुओं को लगाया जाएगा गलाघोटूं से बचाने का टीका
बारिश शुरू हो गई है ऐसे में पशुओं में गलाघोटूं रोग तेजी से फैलेगा।

जागरण संवाददाता, मऊ। बारिश शुरू हो गई है। ऐसे में पशुओं में गलाघोटूं रोग तेजी से फैलेगा। इसे देखते हुए शासन-प्रशासन ने कमर कस लिया है। जनपद में सभी पशुओं को युद्धस्तर पर टीका लगाने का अभियान शुरू कर दिया गया है। 1.61 लाख पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य शासन की तरफ से निर्धारित किया गया है। इसके लिए पूरे जनपद भर में 18 टीमें लगाई गई हैं। शासन की तरफ से 1.18 लाख वैक्सीन प्राप्त हो गई हैं। विशेषकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर यह अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान सितंबर तक चलेगा। जनपद में कुल तीन लाख 66 हजार पशु हैं। इनमें से चिह्नित 1.61 लाख पशुओं को टीकाकरण लगाया जाना है। जनपद में कुल नौ ब्लाक हैं। हर ब्लाक में दो-दो टीमें लगाई गई हैं। यह टीम गांव-गांव घूमकर पशुओं का टीकाकरण कर रही है। टीम में पशु चिकित्साधिकारी, पशुधन प्रसार अधिकारी, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व पशुमित्र शामिल हैं।

24 घंटे में हो जाती है पशुओं की मौत : पशुओं में लगने वाला यह जीवाणु जनित रोग संक्रमित है और तेजी से फैलता है। अगर लक्षण का पता लगने के बाद पशुओं का शीघ्र इलाज शुरू न किया जाए तो 24 घंटे के भीतर पशु की मौत हो जाती है। यह रोग 'पास्चुरेला मल्टोसीडा' नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जीवाणु सांस नली में तंत्र के ऊपरी भाग में मौजूद होता है। मौसम परिवर्तन के कारण पशु मुख खुर (गलाघोंटू) रोग की चपेट में आ जाता है।

गलाघोंटू रोग के लक्षण : इस रोग से ग्रस्त पशु को अचानक तेज बुखार हो जाता है। बुखार की चपेट में आने से रोगी पशु सुस्त रहने लगता है तथा खाना-पीना छोड़ देता है। पशु की आंखें भी लाल रहने लगती हैं। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। उसके मुंह से लार गिरने लगती है। नाक से स्राव बहना तथा गर्दन व छाती पर दर्द के साथ सोजिश आना मुख्य लक्षण है।

रोकथाम

-पशुओं को हर वर्ष बरसात के इस मौसम में गलघोंटू रोग का टीका लगवाएं।

-बीमार पशु को अन्य पशुओं से दूर रखें क्योंकि यह तेजी से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है।

-जिस जगह पर पशु की मृत्यु हुई हो वहां कीटाणुनाशक दवाइओं का छिड़काव किया जाए।

-पशुओं को बांधने वाले स्थान को स्वच्छ रखें तथा रोग की संभावना होने पर तुरंत पशु चिकित्सकों से संपर्क करें।

उपचार

यदि इस बीमारी का पता लगने पर उपचार शीघ्र शुरू किया जाए तो इस जानलेवा रोग से पशुओं को बचाया जा सकता है। एंटी बायोटिक जैसे सल्फाडीमीडीन आक्सीटेट्रासाइक्लीन और क्लोरोम फानीकोल एंटी बायोटिक का इस्तेमाल इस रोग से बचाव के साधन हैं।

बोले अधिकारी : प्रथम चक्र में टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 11 हजार पशुओं काे टीका लगाया जा चुका है। अभी शासन से और टीका आएगा। हर क्षेत्र में पशुओं को इस बीमारी से मुक्ति दिलाई जाएगी।  - आरएन सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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