संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर के स्वास्थ्य केंद्र को ही दवा व डाक्टर की दरकार,

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र को ही दवा व डाक्टर की दरकार है। पिछले कई वर्षों से इस केंद्र में एक भी डाक्टर है न कोई दवा है। फिर स्वास्थ्य केंद्र का तमगा लगा हुआ है। लिहाजा फार्मासिस्ट पूरे दिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 11:00 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 11:00 PM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर के स्वास्थ्य केंद्र को ही दवा व डाक्टर की दरकार,
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र को ही दवा व डाक्टर की दरकार है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्वास्थ्य केंद्र को ही दवा व डाक्टर की दरकार है। पिछले कई वर्षों से इस केंद्र में एक भी डाक्टर है न कोई दवा है। फिर स्वास्थ्य केंद्र का तमगा लगा हुआ है। डाक्टर की नियुक्ति को लेकर छात्रों ने कई बार मांग की लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने डाक्टरों की नियुक्ति के लिए कोई पहल नहीं की। लिहाजा फार्मासिस्ट पूरे दिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।

विद्यार्थियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए परिसर में एक स्वास्थ्य केंद्र भी खोला गया है। इस केंद्र पर एक एलोपैथ, एक आयुर्वेद डाक्टर, दो फार्मासिस्ट, चार परिचारक व एक एक्सरे टेक्निशियन के पद शासन से स्वीकृत थे। यही नहीं एलोपैथ व आयुर्वेद में दवा के मद में सालाना 3.50-3.50 लाख रुपये बजट का भी प्रावधान किया गया है। वहीं वर्ष 2010 में एलोपैथ डाक्टर अशोक दास व वर्ष 2013 से आयुर्वेद डाक्टर वैद्य गंगेश्वर कल्यायन सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्त होने के बाद वैध गंगेश्वर कल्यायन को विश्वविद्यालय प्रशासन संविदा पर नियुक्त कर दिया। हालांकि वर्ष 2016-17 के बाद संविदा नवीकरण नहीं किया गया। ऐेसे में करीब पांच वर्ष से बगैर डाक्टर स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है। दो वर्ष पहले तक राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय व चिकित्सालय के डाक्टर को दो घंटे के लिए बैठने की व्यवस्था की गई थी। कोविड काल में यह चक्र भी टूट गया। डाक्टर का पद रिक्त होने के कारण दवा भी नहीं क्रय की जा रही है। यही नहीं बंद पड़े-पड़े एक्सरे मशीन भी अब खराब हो गया। वर्तमान में स्वास्थ्य केंद्र पर दो फार्मासिस्ट व दो परिचारक तैनात हैं। इनके पास कोई काम नहीं है। नियम से सुबह से स्वास्थ्य केंद्र का ताला खोलना और शाम को बंद कराना फार्मासिस्टों का काम रह गया है।

छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. हरिशंकर पांडेय ने बताया कि डाक्टर न होने के कारण दवा नहीं मंगाई जा रही है। हालांकि डाक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। फिलहाल संविदा पर ही डाक्टरों की तैनाती कराने पर विचार किया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी