बलिया जिले में गंगा और सरयू आदि नदियों के जलस्तर संग बढ़ने लगीं तटवर्ती लोगों की धड़कनें

गंगा और सरयू दोनों नदियाें का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पेटा भरने के बाद अब पानी बाहर भी फैलने लगा है। समय से पहले बदली स्थिति से तटवर्ती लोगों के होश उड़ गए हैं। अभी से ही सभी लोग बाढ़ से बचाव की तैयारियों में जुट गए हैं

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:00 AM (IST)
बलिया जिले में गंगा और सरयू आदि नदियों के जलस्तर संग बढ़ने लगीं तटवर्ती लोगों की धड़कनें
गंगा और सरयू दोनों नदियाें का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।

बलिया, जेएनएन। जनपद में गंगा और सरयू दोनों नदियाें का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। नदियों का पेटा भरने के बाद अब पानी बाहर भी फैलने लगा है। इस साल समय से पहले बदली स्थिति से तटवर्ती लोगों के होश उड़ गए हैं। अभी से ही सभी लोग बाढ़ से बचाव की तैयारियों में जुट गए हैं लेकिन जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जारही है। फसलों के नुकसान को लेकर किसान परेशान हैं। कई स्थानों पर कटानरोधी कार्य भी बंद हो गए हैं। नदियों का दबाव बढ़ने पर कई स्थानों पर कटान भी शुरू है।

गंगा का जल स्तर

रविवार को सुबह आठ बजे गायघाट में गंगा का जलस्तर 52.400 मीटर दर्ज किया गया जो खतरा बिंदु 57.615 मीटर से 5.215 मीटर नीचे है। यहां 2016 में उच्चतम बाढ़ के जलस्तर रिकार्ड 60.390 मीटर है। यहां गंगा में लगभग तीन सेमी प्रति घंटा के रफ्तार से बढ़ाव जारी है।

सरयू का जल स्तर

सरयू नदी का जल स्तर चांदपुर में 57.08 मीटर दर्ज किया गया जो खतरा बिंदु 58.00 मीटर से मात्र 92 सेमी नीचे हैं। यहां 1982 में उच्चतम बाढ़ के जलस्तर का रिकार्ड 60.24 मीटर है।

खतरा निशान की तरफ बढ़ रही सरयू

मानसून के शुरुआती दिनों में ही सरयू नदी के जलस्तर में बढ़ाव तेजी से जारी है। रविवार को तुर्तीपार हेड पर सरयू का जलस्तर 63.820 मीटर दर्ज किया गया। जो खतरा निशान 64.01 मीटर से अब महज 19 सेंटीमीटर नीचे रह गया है। नदी के जलस्तर में एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया है।

40 मीटर स्पर पानी में बैठा

सरयू नदी के जलस्तर में बढ़ाव से क्षेत्र में बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। टीएस बंधा के डेंजर जोन तिलापुर में तटबंध पर नदी का दबाव बढ़ गया है। नदी के दबाव के चलते 40 मीटर अप्रन पानी में बैठ गया। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंचे अवर अभियंता आरके राय द्वारा निरोधात्मक कार्य कर स्थिति को नियंत्रित किया गया। बंधे के 70,200 किमी पर बने स्पर का चार फीट नोज भी रविवार को नदी के दबाव से घाघरा में समाहित हो गया। नदी के बढ़ाव को लेकर लोग भयभीत होने लगे हैं।

तीन स्परों का कार्य अधूरा, बढ़ा खतरा

रामगढ़ में स्परों का निर्माण गंगा की धारा में समाहित होने लगा है। यहां तीनों स्परों के पास जाली लगे पत्थरों के ऊपर पानी चढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिसका अंदेशा था वही हुआ। फरवरी माह से ही कार्य प्रारंभ होने के बावजूद विभागीय अधिकारियों व ठीकेदारों की लापरवाही से आज तक तीनों स्परों पर कटानरोधी कार्य पूर्ण नहीं हो सका।

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