गाजीपुर में चाकू मारकर वृद्ध काजी की हत्या, हत्यारोपित साइकिल से ही भाग निकला मौके से
गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के महरूपुर गांव के काजी मुश्ताक खां (70) की सोमवार को गांव के ही एक युवक ने चाकू मारकर कर हत्या कर दी। इससे स्वजन में कोहराम मच गया। आरोपित मौके से फरार है।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर। मुहम्मदाबाद क्षेत्र के महरूपुर गांव के काजी मुश्ताक खां (70) की सोमवार को गांव के ही एक युवक ने चाकू मारकर कर हत्या कर दी। मृतक के पुत्र शमशाद खां की तहरीर पर पुलिस हमलावर अशरफ खां के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर चाकू बरामद करने के साथ कार्रवाई में जुट गई है। आरोपित मौके से फरार है। एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह मौके पर पहुंचकर जायजा लेने के साथ लोगों से पूछताछ की।
परिवार के लोगों के अनुसार काजी मुश्ताक खां गांव के पूर्व ग्राम प्रधान शकील रजा के दरवाजे के पास बैठकर पेपर पढ़ रहे थे। इसी दौरान हमलावर युवक उनके पास पहुंचा। बगैर कुछ कहे-सुने सीधे चाकू निकालकर उनके सीने के पास बाएं तरफ व गर्दन सहित कई जगहों पर ताबड़तोड़ प्रहार कर वहां से भाग निकला। मुश्ताक की चीख-पुकार पर लोग दौड़कर मौके पर जब तक पहुंचते आरोपित साइकिल से ही भाग निकला। बुरी तरह से घायल लहूलुहान मुश्ताक को लोग इलाज के लिए सीएचसी ले गए, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। मुश्ताक खां के मौत की जानकारी होते ही कोतवाली परिसर में लोगों की भीड़ जमा हो गई। गांव के लोग इस घटना से काफी हतप्रभ थे। पति की मौत से पत्नी शाहजहां बेगम पूरी तरह से बेसुध हो गई। चार पुत्र शमशाद, सलामु, शाकिब व नौशाद खां हैं। इसमें नौशाद खां खाड़ी देश में नौकरी करता है। वहीं तीनों पुत्र खेती आदि काम करते हैं। सीओ रविंद्रनाथ वर्मा, कोतवाल अशोक कुमार मिश्र सहित बड़ी संख्या में फोर्स डंटी रही। हत्यारे की गिरफ्तारी को टीम गठित हुई है।
हत्या गांव में छाया सियापा, लोग हतप्रभ
मुहम्मदाबाद थाना क्षेत्र के महरूपुर गांव के मुअज्जिम काजी मुश्ताक खां की हत्या से पूरे गांव में सियापा छाया है। लोग उनके व्यवहार की जमकर तारीफ करते हुए घटना पर दुख जताते रहे। मुश्ताक खां गांव के छोटी मस्जिद की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। भोर से लेकर रात तक होने वाली अजान देना व नमाज आदि कराना ही उनके दिनचर्या में शामिल था। हत्या की घटना को वारदात देने वाले युवक ने किस वजह से घटना को अंजाम दिया यह बात कोई नहीं बता पा रहा है। आरोपित अशरफ कुछ दिन से मस्जिद में नमाज पढ़ने जाता था। वह मछली बेचकर आजीविका चलाता था। माता-पिता के काफी पहले गुजर जाने के बाद से तीन भाइयों में सबसे बड़ा अविवाहित अशरफ अकेले रहता था। उसके पास एक मड़हा था उसी में खाना-पीना आदि होता था।