सरकार भी जानकर हैरान! मुफ्त होटल के लिए बनारस में प्रशासनिक अधिकारियों के आते हैं फरमान

वाराणसी जैसे पर्यटन बाहुल्‍य क्षेत्र वाराणसी में होटल मालिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने को सरकारी अधिकारियों की ओर से पत्र तक लिखे जा रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 23 Sep 2019 12:44 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 05:04 PM (IST)
सरकार भी जानकर हैरान! मुफ्त होटल के लिए बनारस में प्रशासनिक अधिकारियों के आते हैं फरमान
सरकार भी जानकर हैरान! मुफ्त होटल के लिए बनारस में प्रशासनिक अधिकारियों के आते हैं फरमान

वाराणसी, जेएनएन। ज्यादा दिन नहीं बीते जब अफसरशाही की चक्की में पिस-पिस कर आजिज आए एक ठेकेदार ने वाराणसी में आत्मघाती कदम उठा लिया था। उस घटना के बाद भी अफसर अलर्ट नहीं हैं। हद तो तब हो गई जब वाराणसी जैसे पर्यटन बाहुल्‍य क्षेत्र वाराणसी में होटल मालिकों को सुविधाएं उपलब्ध कराने को सरकारी अधिकारियों की ओर से पत्र तक लिखे जा रहे हैं। आजिज आए एक होटल मालिक की यूपी सरकार के एक मंत्री से की गई शिकायत आखिरकार वायरल होकर अब सुर्खियां बन गई है।

बनारस में जनता कह रही है कि साहब के काम से सरकार बदनाम हो रही है, अब होटल कारोबारी बैक डोर से हो रहे इस अत्‍याचार से आजिज आ चुके हैं। एक प्रशासनिक अधिकारी ने पूर्व में एक बड़े होटल मलिक को अपने खास के लिए कमरा-अौर भोजन उपलब्ध कराने को पत्र लिखा है। उसमें बकायदा कम्प्लीमेंट्री (मुफ्त में सुविधा) बेसिस शब्द का उल्लेख है। दरकार कई कमरों की थी, लिहाजा होटल मालिक का धैर्य आखिरकार जवाब दे गया। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री को इत्तला देते हुए इसे होटल कारोबारियों पर ज्यादती बताया।

बगावती तेवर सिर्फ एक होटल मालिक ने दिखाया, जबकि इस पीड़ा से अमूमन सभी होटल कारोबारी रोज ही जूझ रहे हैं। छोटे से लेकर बड़े होटल मालिकों ने बातचीत में यह सच्चाई स्वीकारी भी। हालांकि, खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है। इसके पीछे भी जिला प्रशासन का एक भय ही अहम वजह है। ज्यादती उजागर करने वाला पत्र एक-दो नहीं पूरे 18 विभागों के अधिकारियों द्वारा होटल कारोबारियों पर हो रहे जुल्म की कहानी बयां कर रहा है। मंदी में जब बनारस में होटल उद्योग बीमार पड़ा हैं और केंद्र सरकार बचाने को जीएसटी में रियायतें दे रही। ऐसे में सरकारी हाकिमों की करतूत होटल कारोबार का दम निकालने में जुटी हुई है। यह हाल तब है जब ऐसे अधिकारी लाख रुपये से अधिक की सरकारी सैलरी उठा रहे हैं।

पुलिस भी पीछे नहीं, थानेदार समझते अधिकार : होटलों के उपयोग एवं उपभोग में पुलिस भी पीछे नहीं रहती है। एसओ, इंस्पेक्टर तो थानों की कमान मिलने के कई दिनों बाद तक होटलों में ही जमे रहते हैं। उसके बाद रसूख दर्शाने को अफसरों, नेताओं को जगह दिलाते हैं।

मदद की उम्मीद में रहते खामोश : कारोबारियों की खामोशी के पीछे कुछ वजह हैं। मसलन, एक होटल पर कई विभागों के नियम लागू होते हैं। लिहाजा एक चूक कारोबारियों के गले की फांस बन सकती है। दूसरी वजह होटल में सिरफिरों की करतूत, मारपीट के बाद आरोप-प्रत्यारोप। इसमें  पुलिस-प्रशासन कायदों मुताबिक कार्रवाई तो होटल कर्मी, संचालन भी मुकदमें के दायरे में होंगे।

बोले होटल कारोबारी : मेरे संज्ञान में भी इस तरह का मामला आया है। किसी ने पीड़ा लिखकर पहुंचाई तो संगठन उसे देखेगा। वर्ष 2008 में सवाल उठा था, उस समय डीजीपी ने एक सर्कुलर जारी कर मातहतों को हिदायत दी थी। जरूरत पड़ी तो न्याय को फिर से लड़ेंगे। -गोकुल शर्मा, महामंत्री वाराणसी होटल एसोसिएशन।

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