Nursing Career: ऐसे बनाएं नर्सिंग में करियर, जॉब्स के बढ़ रहे मौके; आकर्षक सैलरी

वाराणसी के बीएचयू के कॉलेज ऑफ नर्सिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि मौजूदा स्थिति में सभी नर्सिंग स्टाफ पूरे समर्पण से अपना काम कर रहे हैं। लेकिन लगातार ज्यादा मरीज आने से अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 04:48 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 04:51 PM (IST)
Nursing Career: ऐसे बनाएं नर्सिंग में करियर, जॉब्स के बढ़ रहे मौके; आकर्षक सैलरी
आइए जानें, नर्सिंग प्रोफेशनल्स के लिए आगे किस तरह की संभावनाएं रहने वाली हैं..

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना की दूसरी जबर्दस्त लहर में अस्पतालों पर दबाव काफी बढ़ गया है। ऐसे में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के काम के घंटे भी बढ़ गए हैं। अस्पतालों में बेड बढ़ने और नये कोविड अस्पताल बनने से प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की जरूरत काफी बढ़ गई है। मेडिकल प्रोफेशनल्स पर दबाव व इनकी कमी को लेकर तमाम विशेषज्ञों द्वारा चिंता भी जताई जाती रही है। अच्छी बात यह है कि केंद्र सरकार द्वारा एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ-साथ नर्सिंग कोर्स के आखिरी वर्ष के छात्र-छात्राओं की सेवाएं लेने की अनुमति दे देने के बाद नर्सिंग स्टाफ का दबाव कम करने में मदद मिलेगी। 

हाल के फैसले के अनुसार, कोविड प्रबंधन में सेवा प्रदान करने वाले एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्रों के साथ-साथ नर्सिंग कोर्स के आखिरी वर्ष के छात्र-छात्राओं को सौ दिन की ड्यूटी पूरी करने के बाद सरकारी भर्ती में प्राथमिकता भी दी जाएगी। वर्तमान जरूरतों के अलावा शहरी व ग्रामीण इलाकों में लगातार नये अस्पताल खोलने की पहल को देखते हुए आने वाले दिनों में भी र्नंिसग प्रोफेशनल्स के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र में नौकरी की बेहतर संभावनाएं बने रहने की उम्मीद की जा रही है।

फिलहाल, कोरोना के इस संक्रमण काल के बीच सभी लोगों के उचित उपचार के लिए देश में आइसीयू बेड और वेंटिलेटर बढ़ाये जाने से बड़ी संख्या में प्रशिक्षित र्नंिसग स्टाफ की जरूरत देखी जा रही है, जो संक्रमण के खतरे के बावजूद जान जोखिम में डाल अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। आज चाहे किसी को कोरोना का टीका लगाना हो, इंजेक्शन और आक्सीजन देना हो या फिर जनरल वार्ड सहित आइसीयू में मरीज की देखभाल करनी हो, र्नंिसग स्टाफ (महिला और पुरुष दोनों) ही कोरोना के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर रहते हुए एक योद्धा के रूप में लड़ाई लड़ रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार किये जाने से कुशल र्नंिसग स्टाफ की मांग अपने देश के साथ-साथ दुनियाभर में बढ़ रही है।

बढ़ती संभावनाएं: कोविड संकट के बीच जारी स्टेट ऑफ द वल्ड्र्स नर्सिंग रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक विश्वभर में नर्सों की संख्या कम से कम 60 लाख और बढ़ेगी। वर्तमान में दुनियाभर में कुल नर्सों की संख्या 2 करोड़ 79 लाख के लगभग है। पिछले साल राज्यसभा में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी कुल करीब 37 लाख पंजीकृत नर्सिंग स्टॉफ हैं यानी 1000 लोगों पर 1.7 नर्सेज हैं, जबकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 1000 आबादी पर 3 नर्स होनी चाहिए। इस अनुपात के हिसाब से अपने देश में अभी करीब 43 फीसद नर्सों की कमी है।

जॉब्स के बढ़ रहे हैं मौके: नर्स और नर्सिंग सहायक के रूप में सबसे ज्यादा नौकरी के मौके सरकारी और निजी अस्पतालों में हैं। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते देश के छोटे-बड़े शहरों में जिस तरह से लगातार नये-नये अस्पताल खुल रहे हैं, तमाम नर्सिंग होम्स तथा क्लीनिक्स खुल रहे हैं, उसी गति से मौके भी बढ़ रहे हैं, जहां मरीजों की देखरेख के लिए ऐसे प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की हर समय जरूरत है। कुल मिलाकर, र्नंिसग की पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं के सामने संभावनाओं की कमी नहीं है।

सेवाभावी फील्ड: नर्सिंग अन्य नौकरियों की तुलना में पूरी तरह एक सेवाभावी फील्ड है। युवा समाज के हित में कार्य करने के लिए इस फील्ड में आते हैं। इसलिए इस फील्ड में आने से पहले आप में लोगों की सेवा करने की इच्छाशक्ति के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी होना चाहिए, जैसे रोगी की देखभाल कैसे करें, काम के तनाव के बीच मरीजों से कैसे अच्छे से पेश आएं, चिकित्सक की अनुपस्थिति में संकट/दबाव के समय किस तरह खुद को शांत रखते हुए स्थितियों पर नियंत्रण पाने का प्रयास करें इत्यादि।

कोर्स एवं शैक्षिक योग्‍यता: नर्सिंग क्षेत्र में अंडरग्रेजुएट से लेकर डिप्‍लोमा और सर्टिफिकेट के रूप में कई तरह के कोर्स ऑफर हो रहे हैं, जैसे- बीएससी इन नर्सिंग, जनरल नर्सिंग ऐंड मिडवाइफरी (जीएनएम), एग्‍जलरी नर्स ऐंड मिडवाइफ (एएनएम) इत्‍यादि। नर्सिंग में अंडरग्रेजुएट कोर्स करने के लिए पीसीबी विषयों से बारहवीं पास होना चाहिए। यह चार साल की अवधि का कोर्स है। जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) के लिए भी न्यूनतम योग्‍यता बारहवीं है। यह तीन वर्ष की अवधि का कोर्स है, जबकि एएनएम कोर्स की अवधि दो वर्ष है। यह कोर्स करने के लिए दसवीं पास होना चाहिए। इसी तरह कुछ संस्‍थानों द्वारा नर्सिंग सहायक (जनरल ड्यूटी असिस्टेंट) का भी कोर्स कराया जा रहा है, जिसे बारहवीं के बाद किया जा सकता है। यह कोर्स छह माह की अवधि का है, हालांकि कई संस्‍थानों में यह अवधि अलग-अलग भी है।

आकर्षक सैलरी: नर्सेज को किसी भी अस्‍पताल में शुरुआत में 20 से 25 हजार रुपये की सैलरी मिल जाती है। सरकारी अस्‍पतालों में स्‍थायी पदों पर भर्ती होने पर यह सैलरी और भी अधिक होती है। जीएनएम, एएनएम और जनरल ड्यूटी असिस्टेंट जैसे पदों पर भी शुरुआत में 15 हजार रुपये तक सैलरी मिल जाती है, जो अनुभव बढ़ने के साथ बढ़ती रहती है।

फीचर डेस्क

प्रमुख संस्थान

एम्स, नई दिल्ली

www.aiims.edu

आइपी यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली

www.ipu.ac.in

आचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज, बेंगलुरु

www.aihs.ac.in

बीएचयू, वाराणसी

www.bhu.ac.in

डीपीएमआइ, नई दिल्ली

www.dpmiindia.com

केयरिंग एटीट्यूड है जरूरी: वाराणसी के बीएचयू, के कॉलेज ऑफ नर्सिंग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ज्योति श्रीवास्तव ने बताया कि मौजूदा स्थिति में सभी नर्सिंग स्टाफ पूरे समर्पण से अपना काम कर रहे हैं। लेकिन लगातार ज्यादा मरीज आने से अस्पतालों में बेड बढ़ाए जा रहे हैं। अगर अस्पतालों में बेड बढ़ रहे हैं तो जाहिर है इसके लिए अतिरिक्त डॉक्टर और नर्स भी चाहिए। यही कारण है कि अब अंतिम वर्ष के स्टूडेंट की सेवाएं लेने पर भी विचार हो रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए अनुमति दे दी है। र्नंिसग अभी बहुत डिमांडिंग फील्ड है। प्रशिक्षित युवाओं को इसमें जॉब जरूर मिल जाती है। इसीलिए तमाम स्टूडेंट जिनका नीट में चयन नहीं हो पाता, वे र्नंिसग में आ जाते हैं। र्नंिसग की भूमिका कई रूपों में बढ़ गई है। अस्पतालों के अलावा र्नंिसग की आवश्यकता डी-एडिक्शन सेंटर्स से लेकर साइकिएट्री केयर, आक्युपेशनल थेरेपी और स्कूल्स आदि में भी है। कोरोना के टीकाकरण में भी इनकी प्रमुख भूमिका है। बायोलॉजी और इंग्लिश से बारहवीं करने वाले युवा इस सेवाभावी फील्ड में आ सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपका एटीट्यूड केयरिंग होना चाहिए। सिर्फ प्रोफेशन समझकर पैसा कमाने के लिए इसमें नहीं आना चाहिए।

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