अब प्लास्टिक की जाली देगी पौधों को नवजीवन, अब तक ब्रिक गार्ड लगाकर विभाग करता था संरक्षण
पौधों के संरक्षण हेतु परंपरागत ब्रिक गार्ड के स्थान पर प्रायोगिक तौर पर विभाग इस वर्ष प्लास्टिक की जाली लगा रहा है।
मऊ [अरविंद राय]। हर माह करोड़ों, लाखों पौधारोपण का दावा तो किया जाता है लेकिन इसके संरक्षण की पहल मात्र 10 फीसद की जाती है। यही वजह है कि पर्यावरण संरक्षण को वह आयाम नहीं मिल पा रहा है जिस जोश से जुलाई में पौधारोपण किया जाता है। ऐसे में वन विभाग ने इस बार पौधारोपण के साथ ही संरक्षण की नई तरकीब निकाल लिया है। पौधों के संरक्षण हेतु परंपरागत ब्रिक गार्ड के स्थान पर प्रायोगिक तौर पर विभाग इस वर्ष प्लास्टिक की जाली लगा रहा है। अगर यह जाली सफल होती है तो लगभग 80 फीसद पौधों की रक्षा हो जाएगी।
प्रतिवर्ष जिले में पंद्रह लाख से अधिक पौधों का रोपण होता रहा है पर छह माह बाद ही इनमें से आधे पौधे ही बच पाते हैं। कुछ सूख जाते हैं तो कुछ मवेशियों का निवाला बन जाते हैं। अब तक वन विभाग पौधों को लगाने के बाद इसके चारों तरफ ईंट की दीवार बनाकर ईंट की आखिरी पंक्ति को सीमेंट से सुरक्षित कर देता रहा है। उधर चंद दिन बाद ही लोग ईंट उखाड़ लेते हैं या फिर कोई मवेशी इस दीवार को नष्ट कर देता रहा है। बाद में ऐसे पौधे जानवरों के निवाला बन जाते थे। उधर ऐसे गार्ड बनाने में ईंट के साथ ही दक्ष श्रमिक की आवश्यकता होती है। इनको बनाने में समय भी लगता है। इस वर्ष सामाजिक वानिकी वन प्रभाग मऊ के प्रभागीय निदेशक (डीएफओ) संजय कुमार बिस्वाल से परामर्श के पश्चात प्रायोगिक तौर पर नगर के जूनियर हाईस्कूल में लगे पौधों केे संरक्षण को वन क्षेत्राधिकारी पीएन पांडेय एवं वन दारोगा अश्विनी कुमार राय की देखरेख में श्रमिकों ने प्लास्टिक की जाली बनाकर पौधे के चारों के तरफ गाड़ी गई लकड़ी के ऊपर लगा कर सिलाई कर रहे हैं। एक तो इसमें समय कम लग रहा है, दूसरे जाल टाइट होने से इसको जानवरों द्वारा क्षतिग्रस्त करने की संभावना लगभग शून्य है।