वाराणसी में अब अस्पतालों में बेड को लेकर हायतौबा कम, इलाज के नाम पर अधिक वसूली को लेकर किचकिच जारी

कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अब अस्‍पतालों में बेड की कमी पहले की तुलना में कम हुई है। इस समय बहुतायत कोविड अस्‍पताल में कुछ न कुछ बेड रिक्‍त हैं। अब निजी अस्‍पतालों में इलाज के नाम पर ज्‍यादा वसूली को लेकर शिकायतें आ रही हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 04:38 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 04:38 PM (IST)
वाराणसी में अब अस्पतालों में बेड को लेकर हायतौबा कम, इलाज के नाम पर अधिक वसूली को लेकर किचकिच जारी
अब निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर ज्यादा वसूली को लेकर शिकायतें आ रही हैं।

वाराणसी, जेएनएन। कोविड संक्रमित मरीजों के लिए अब अस्पतालों में बेड की कमी पहले की तुलना में कम हुई है। इस समय बहुतायत कोविड अस्पताल में कुछ न कुछ बेड रिक्त हैं। अब निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर ज्यादा वसूली को लेकर शिकायतें आ रही हैं। हालांकि इस मामले को भी निस्तारित कराने की कोशिश की जा रही है। जिलाधिकारी स्वयं इस पर नजर रखे हुए हैं।

जिले की 43 अस्पतालों की कमान संभालने वाले बहुतायत मजिस्ट्रेटों की यह कहना है। मजिस्ट्रेट महातिम यादव ने कहा कि पहले बेड को लेकर मारामारी की स्थिति थी। आक्सीजन युक्त बेड न होने के कारण ज्यादा परेशानी आ रही थी। आक्सीजन की आपूर्ति ठीक हुई तो बहुत हद तक अब बेड को लेकर लोग परेशान नहीं हैं। पहले एक दिन में 200 कॉल आते थे लेकिन इधर दो दिन से दस बीस लोग ही फोन करते हैं। हालांकि देररात भी फोन आते रहते हैं। जरूरतमंदों को बेड उपलब्ध कराया जा रहा है।

इलाज के बाद ठीक होने वाले बहुत दुआ देते हैं। कहते हैं कि आपकी वजह से मेरे पापा, मेरे बच्चे की जिंदगी बच गई। वहीं मजिस्ट्रेट व खाद्य सुरक्षा अधिकारी रमेश सिंह का कहना है कि पहले से व्यवस्था बहुत अच्छी हुई है। लगभग सभी अस्पताल में कुछ न कुछ बेड खाली है। हालांकि संक्रमित मरीजों की संख्या भी कम हुई लेकिन इससे ज्यादा आक्सीजन आदि को लेकर प्रयास हुए हैं। जिलाधिकारी ने एक- एक अस्पताल की मानिटरिंग की है। अब प्रत्येक अस्पताल में कितने बेड फुल हैं रिक्त हैं आदि की जानकारी एनआइसी की वेबसाइट पर अपलोड भी की जा रही है। निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर ज्यादा वसूली की शिकायत है लेकिन इसकी भी मानिटरिंग आला अधिकारियों की ओर से की जा रही है। पहले से स्थिति बेहतर हो रही है। बीएचयू में डीआरडीओ के अस्थाई अस्पताल के शुरू होते ही बहुत सी समस्याएं कम होंगी। दो दिन से फोन भी लोग कम कर रहे हैं। हालांकि कुछ मजिस्ट्रेटों के फोन भी नहीं उठे लेकिन बहुतायत ने फौरी बात की।

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