पूर्व कुलपति सहित काशी विद्यापीठ के शिक्षकों व कर्मियों को नोटिस, हाई कोर्ट ने किया जवाब तलब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने काशी विद्यापीठ में पीएचडी कोर्स में धांधली को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और विपक्षियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व इतिहास विभाग विद्यापीठ के अध्यक्ष प्रो. योगेंद्र सहित सात शिक्षकों व कर्मचारियों को नोटिस जारी की है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:38 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:38 PM (IST)
पूर्व कुलपति सहित काशी विद्यापीठ के शिक्षकों व कर्मियों को नोटिस, हाई कोर्ट ने किया जवाब तलब
पूर्व कुलपति सहित काशी विद्यापीठ के शिक्षकों व कर्मियों को नोटिस

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पीएचडी कोर्स में प्रवेश में धांधली को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार और विपक्षियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय (बलिया) पूर्व कुलपति व इतिहास विभाग, विद्यापीठ के अध्यक्ष प्रो. योगेंद्र सिंह सहित सात शिक्षकों व कर्मचारियों को नोटिस जारी की है।

कोर्ट ने नोटिस की एक प्रतिलिपि विद्यापीठ के कुलसचिव को भेजी है। इसमें प्रो. योगेंद्र सिंह के अलावा प्रो. राघवेंद्र पांथरी, प्रो. लक्ष्मी शंकर उपाध्याय, लिपिक मोतीलाल वर्मा, पूर्व लिपिक राजपति राम, लिपिक शशिकांत ङ्क्षसह व लिपिक पुरुषोत्तम मिश्र के नाम शामिल है। इन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग में दाखिल अर्जी को सीजेएम वाराणसी द्वारा निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी गई है।

सीजेएम ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-197 के तहत राज्य सरकार से अनुमति नहीं ली गई है। सीजेएम वाराणसी के आदेश के खिलाफ अर्दली बाजार निवासी सुधांशु कुमार ङ्क्षसह की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने दिया है। याची का कहना है कि एमफिल के बाद कैमूर बिहार के मूल निवासी याची ने 2008-2009 में पीएचडी कोर्स के लिए आवेदन किया। कमेटी ने 81 लोगों को प्रवेश के योग्य पाया, लेकिन प्रवेश 132 लोगों को दिया गया। याची को प्रवेश न देकर उससे कम अंक वाले लोगों को दाखिला दिया गया है। याची की शिकायत पर कुलपति ने चार सदस्यीय समिति गठित की। जांच रिपोर्ट में याची की शिकायत की पुष्टि की गई है। इसके बाद कुलपति ने जवाबदेही तय करने के लिए कमेटी गठित की, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया तो याची ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। वहां से उचित कार्रवाई का निर्देश हुआ। कुलपति ने पूर्व जिला जज इंद्र बहादुर सिंह और प्रो. लोकनाथ सिंह की कमेटी गठित की। कमेटी की 25 दिसंबर, 2018 की रिपोर्ट में प्रोफेसर व स्टाफ के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की संस्तुति की। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो याची ने धारा 156(3)के तहत सीजेएम वाराणसी की अदालत में अर्जी दी, उसे खारिज कर दिया गया।

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