चंदौली जिले में नहीं सहेज रहे बारिश का पानी, भविष्य में होगी जल संकट की परेशानी

जल ही जीवन है और जीवन को बचाने वाले अवयवों में जल एक प्रमुख कारक है। इसीलिए जल का पर्याप्त मात्रा में होना और पीने के लिए शुद्ध होना निहायत जरुरी है। इसके बावजूद मिनी महानगर में बारिश के पानी का संरक्षण नहीं हो रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:30 AM (IST)
चंदौली जिले में नहीं सहेज रहे बारिश का पानी, भविष्य में होगी जल संकट की परेशानी
जल ही जीवन है और जीवन को बचाने वाले अवयवों में जल एक प्रमुख कारक है।

चंदौली, जेएनएन। जल ही जीवन है और जीवन को बचाने वाले अवयवों में जल एक प्रमुख कारक है। इसीलिए जल का पर्याप्त मात्रा में होना और पीने के लिए शुद्ध होना, निहायत जरुरी है। इसके बावजूद मिनी महानगर में बारिश के पानी का संरक्षण नहीं हो रहा है। वर्षा जल संचय (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) करने के लिए न तो बहुमंजिला इमारतों में कोई प्रबंध है और नही सरकारी भवनों के निर्माण में इसका ध्यान रखा जा रहा। विडंबना है कि बिना नक्शा पास कराए ही कई इमारतें तन हईं। वाराणसी में बैठे वीडीए (वाराणसी डेवलटमेंट अथारिटी) के अधिकारियों के पास इनका कोई ब्यौरा ही नहीं। केवल कागजों पर आंकड़े भरकर कोरमपूर्ति की जा रही है।

भूजल के अंधाधुंध दोहन से दिनोंदिन भूजल का स्तर नीचे जा रहा है और पानी की कमी होती जा रही है। स्थिति यह है कि लोगों को पीने तक का पानी नहीं मिल पा रहा है। जल संकट से निजात के लिए वर्षा जल संचय पर जोर दिया जा रहा। शासन ने बहुमंजिला इमारतों व सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने का निर्देश दिया है। हालांकि नगर में इस पर अमल नहीं हो रहा। यह प्रक्रिया सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। इलाके में बनने वाली बहुमंजिला इमारतों व हाउसिंग कांप्लेक्स में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं। वहीं अन्य तरह के मानकों की भी अनदेखी की जा रही है। बिना नक्शा पास कराए ही न जाने की कितनी इमारतें तन गईं। भूजल का भी खूब दोहन किया जा रहा है। पानी में खतरनाक रासायनिक तत्व भी पाए जा रहे हैं। इससे दिनोंदिन संकट बढ़ता जा रहा है।

भू-लजल स्तर में सुधार है उद्देश्य

मकान व बड़ी इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के पीछे उद्देश्य गिरते भूजल स्तर को नियंत्रित करना है। दरअसल पक्की सड़कें और पक्के मकान बन जाने से बारिश का पानी सूखकर जमीन के अंदर पहुंच नहीं पाता है। इससे भूजल स्तर गिरता जा रहा है। यदि बरसात के पानी को मकान के नीचे टैंक में भरकर उसे रोका जाए तो इससे भूजल स्तर रिचार्ज होगा। इसका इस्तेमाल घरेलू कामकाज के लिए भी किया जा सकता है।

बोले अधिकारी - नगर में बन रही इमारतों का ब्यौरा निकाला जा रहा है। बिना नक्शा तैयार हुए इमारतों की भी सूची बनाई जा रही है। जल संरक्षण के लिए सिस्टम लगवाया जाएगा। - सीबी दीक्षित, सहायक अभियंता/जोनल अधिकारी, वीडीए वाराणसी।

chat bot
आपका साथी