वाराणसी में नॉन रेवेन्यु वाटर 40 फीसद से अधिक, पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से नुकसान

पेयजल की बर्बादी को लेकर शासन सख्त हो गया है। आदेश भेजा है कि नॉन रेवेन्यु वाटर की फीसद को घटाया जाए। यदि यह 20 फीसद से अधिक होता है तो केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलने वाला ग्रांट (अनुदान) नहीं मिलेगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 07:10 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 08:44 AM (IST)
वाराणसी में नॉन रेवेन्यु वाटर 40 फीसद से अधिक, पेयजल पाइपलाइन में लीकेज से नुकसान
पेयजल की बर्बादी को लेकर शासन सख्त हो गया है।

वाराणसी, जेएनएन। पेयजल की बर्बादी को लेकर शासन सख्त हो गया है। आदेश भेजा है कि नॉन रेवेन्यु वाटर की फीसद को घटाया जाए। यदि यह 20 फीसद से अधिक होता है तो केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलने वाला ग्रांट (अनुदान) नहीं मिलेगा। इसे बेहतर कार्य करने वाले स्मार्ट सिटी के बीच वितरित किया जाएगा। इस आदेश को लेकर चिंता की बात बनारस को लेकर सर्वाधिक है क्योंकि यहां पर विभागीय दावे के अनुसार 40 फीसद नॉन रेवेन्यु वाटर है जबकि हकीकत कुछ और ही बयां करते हैं।

बनारस शहर में पानी की बर्बादी का आंकड़ा निश्चित रूप से चौंका देगा, लेकिन जिम्मेदार बेफिक्र हैं। कुछ वर्ष पूर्व हुए सर्वे के अनुसार बनारस में पेयजल पाइपलाइन में लीकेज व अन्य वजहों से करीब 11 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। यह आंकड़ा जलकल की ओर से किए जाने वाले पेयजल आपूॢत का आधा है। शहरवासियों को जलकल करीब 22 करोड़ लीटर पानी की आपूॢत करता है। यह समस्या वर्षो से है। इस कारण जल संकट मुंह बाए खड़ा है। सर्वे के मुताबिक बनारस में प्रति व्यक्ति को औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत है। ऐसे में शहर की 20 लाख आबादी के सापेक्ष करीब 27 करोड़ लीटर पानी की जरूरत है। लक्ष्य के सापेक्ष करीब 16 करोड़ लीटर पानी की जरूरत को अन्य स्रोतों से पूरा किया जाता है। इसमें घरों में लगे सबमॢसबल पंप, हैंडपंप, कुएं आदि परंपरागत स्रोतों के अलावा हर मोहल्ले में खुल चुके बोतलबंद पानी के प्लांट प्रमुख हैं। वहीं, बनारस में रोजाना आने वाले सवा लाख पर्यटकों की प्यास भी बंद बोतलों का पानी ही बुझा रहा है।

जलकल बताता है बर्बादी की वजह

-नलों को खुला छोड़ देना

-पीने के पानी से बागवानी

-गाडिय़ों की धुलाई

-सड़कों तथा गलियों में बेवजह पानी का छिड़काव

-पेयजल पाइपों में लीकेज

नगर में ऐसे है पानी प्रबंधन

-145 एमएलडी प्रोडक्शन गंगा वाटर से

-155 एमएलडी वाटर ट्यूबवेल, टैंक से

-300 एमएलडी वाटर का है प्रोडक्शन

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