लापरवाही निगल गया 'नो-वेंडिंग जोन', विभागों की आपसी खींचतान से बढ़ी परेशानी

वाराणसी में नगर आयुक्त के सख्त निर्देशों के पालन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां अधिकारी अपने जिम्मेदारियों से मुंह मोड़े हुए हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 02:49 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 02:54 PM (IST)
लापरवाही निगल गया 'नो-वेंडिंग जोन', विभागों की आपसी खींचतान से बढ़ी परेशानी
लापरवाही निगल गया 'नो-वेंडिंग जोन', विभागों की आपसी खींचतान से बढ़ी परेशानी

वाराणसी, जेएनएन। नगर आयुक्त के मोबाइल पर सुनाई देने वाली पंक्ति जिसने भी छुआ, स्वर्ण हुआ.. मैं जिंदा शहर बनारस हूं की असल बानगी अगर किसी को देखनी हो तो नगर के मुख्य नो वेंडिंग जोन में पहुंचना होगा। यहां नगर आयुक्त के सख्त निर्देशों के पालन की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही है और अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। यूं कहें कि जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपी जा रही हैं। स्थित यह है कि अपने सामने अव्यवस्था देखने के बावजूद ये अधिकारी आंख बंद किए रहते हैं। चाहे स्थिति कितनी ही क्यों न विकट हो जाए मगर इन पर कोई असर नहीं होता है। ऐसे में जनता बहुत परेशान है।

सौ मीटर जाने के लिए मशक्कत : पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी नगर की सुंदरता के लिए खुद प्रधानमंत्री समय-समय पर समीक्षा करते रहते हैं। इतना अति महत्वपूर्ण शहर होने के बावजूद नो वेंडिंग जोन की व्यवस्थाएं नगर निगम के कागजों में सिमट गया है। रोडवेज बस स्टैंड से कैंट स्टेशन की दूरी मात्र कुछ सौ मीटर है, बावजूद यहां-वहां तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

बोले अधिकारी : निर्माण कार्य के चलते कैंट स्टेशन के आसपास सेतु निगम व पीडब्ल्यूडी ने कुछ रुकावटें की हैं। ये तो वही समझें। - डा नितिन बंसल, नगर आयुक्त, नगर निगम वाराणसी।

बोले अधिकारी :  अंधरा पुल से लहरतारा तक 35 ट्रैफिक रेगुलेटरी ब्वाय रखे गए हैं। इसकेलिए प्रति टीआरबी 200 रुपये भी देते हैं। उनका काम लापरवाही भरा है। इनका काम पुलिस लाइन से तय होता है। - एके सिंह, सेतु निगम, परियोजना प्रबंधक।

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