वाराणसी में प्राचीन धर्मशाला की कोई नहीं सुन रहा पुकार, प्रधानमंत्री तक लगाई गुहार
वाराणसी में काशी में पंचक्रोशी यात्रा का प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व रहा है। यात्रा मार्ग के प्रथम पड़ाव कंदवा के पहले करौंदी (आदित्य नगर) तालाब के निकट यात्रियों के ठहरने के लिए प्राचीन धरोहर धर्मशाला है। इसे रानी भवानी द्वारा बनवाया गया था।
वाराणसी, जेएनएन। काशी में पंचक्रोशी यात्रा का प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व रहा है। यात्रा मार्ग के प्रथम पड़ाव कंदवा के पहले करौंदी (आदित्य नगर) तालाब के निकट यात्रियों के ठहरने के लिए प्राचीन धरोहर धर्मशाला है। इसे रानी भवानी द्वारा बनवाया गया था। जहां भोलेनाथ और मां दुर्गा का बहुत ही सुन्दर मंदिर और पास में बहुत बड़ा तालाब भी है। यहां पंचक्रोशी यात्री अपनी थकान मिटाते थे। कई वर्षों से यह खंडहर में बदल गया है और दीवारें काफी जर्जर अवस्था में हो गई हैं। सड़क के किनारे की दीवार इतनी ज्यादा जर्जर है कि कभी भी बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। आसपास के लोग और यात्रियों को एक उम्मीद जगी थी कि यह प्राचीन धरोहर है जिसका जीर्णोद्धार हो जाय या जर्जर दीवार को गिरा दिया जाय जिससे कोई अनहोनी न हो सके। लेकिन, किसी को भी इसकी पुकार सुनाई नहीं दे रही है।
सोशल मीडिया से प्रधानमंत्री तक हुई शिकायत
धर्मशाला के सुंदरीकरण या जर्जर दीवार को गिराने के लिए ग्राम प्रधान माला पटेल और प्रधान पति डॉ. देवाशीष ने बताया कि इसके लिए सोशल मीडिया, ब्लॉक, नगर निगम, विधायक, भाजपा जिलाध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पोर्टल तक उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। जबकि इसके कायाकल्प और सुंदरीकरण से पंचक्रोशी यात्रियों के आलावा राहगीरों को भी काफी राहत मिलेगी। देवाशीष ने बताया कि बरसात में तो इधर से गुजरने पर गांव वालों को हमेशा बना रहता है कि दीवार गिर न जाय। क्या प्रशासन और संबंधित विभाग को किसी बड़ी घटना का इंतजार है।