वाराणसी में सुपोषित बनाने का विशिष्ट प्रयास है “अभिनव पहल”, जनवरी तक चलेगा अभियान

बच्चों किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य देखभाल तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से लगातार पोषाहार का वितरण किया जा रहा है। पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों किशोरियों एवं गर्भवती के पोषण स्तर को मजबूत करना है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 05:01 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 05:01 PM (IST)
वाराणसी में सुपोषित बनाने का विशिष्ट प्रयास है “अभिनव पहल”, जनवरी तक चलेगा अभियान
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से लगातार पोषाहार का वितरण किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण व स्वास्थ्य देखभाल तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से लगातार पोषाहार का वितरण किया जा रहा है। शासन की मंशा को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए जनपद वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने एक से छह वर्ष तक के कुपोषित बच्चों, 11 से 14 साल तक की स्कूल न जाने वाली किशोरियों एवं गर्भवती के स्वास्थ्य देखभाल के लिए “अभिनव पहल” के रूप में एक नई पहल की शुरूआत की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती के पोषण स्तर को मजबूत करना है।

आइए जानते हैं क्या है “अभिनव पहल” - मुख्य विकास अधिकारी ने 18 अक्टूबर 2021 से “अभिनव पहल” की शुरुआत की है । इस पहल का उद्देश्य है कि ग्रामीण परिवेश में रह रहे कुपोषित बच्चों, स्कूल न जाने वाली किशोरियों एवं गर्भवती को पोषाहार के अतिरिक्त मल्टी विटामिन, आयरन आदि जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलते रहें। इस पहल के तहत कुपोषित बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं को अलग-अलग ब्लॉक में डबल्यूएचओ व यूनिसेफ से स्वीकृत सूक्ष्म एवं संपूरक तत्व यथा मल्टी विटामिन, आयरन गोली, आयरन सीरप, एल्बेण्डाजोल की गोली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा घर-घर जाकर अपने समक्ष ही खिलाई जा रही है। इसके लिए अलग-अलग प्रकार के लाभार्थियों के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं |

गर्भवती के लिए - तीन विकासखंड अराजीलाइन, बड़ागांव और चिरईगांव में गर्भवती महिलाओं को संपूरक तत्वों का सेवन कराया जा रहा है। इनका सेवन गर्भावस्था के चौथे माह से शुरू किया गया है। देखा जाए तो गर्भावस्था के अंतिम 180 दिन गर्भवती के लिए बेहद खास होते हैं जिसमें उनके पोषण व स्वास्थ्य पर खास ध्यान रखना चाहिए।

कुपोषित बच्चों के लिए – तीन विकासखंड काशी विद्यापीठ, हरहुआ व सेवापुरी में एक से छह वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को उम्र के अनुसार दवाओं का सेवन कराया जा रहा है। इसके साथ ही छह माह तक के बच्चों को सिर्फ स्तनपान तथा छह माह पूरे होने के बाद स्तनपान के साथ अर्ध ठोषाहार खिलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

स्कूल न जाने वाली किशोरियां – विकासखंड पिंडरा, चोलापुर व नगर परियोजना (आंशिक) में 11 से 14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली किशोरियों को दवाओं का सेवन कराया जा रहा है। किशोरियों को स्वस्थ पोषाहार के साथ-साथ अन्य संपूरक तत्वों की बेहद आवश्यकता होती है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह ने बताता कि मुख्य विकास अधिकारी द्वारा शुरू की गयी यह पहल बेहतर तरीके से संचालित की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रतिदिन अपने क्षेत्र की लक्षित लाभार्थियों को अपने समक्ष उपरोक्त संपूरक तत्वों को खिला रही हैं। इसके साथ ही उन्हें उचित परामर्श भी दे रही हैं। प्रतिदिन इसकी मॉनिटरिंग बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) व सुपरवाइज़र की ओर से की जा रही है। तीन माह तक चलने वाला यह अभियान 30 जनवरी 2022 अर्थात पूरे 100 दिनों तक संचालित किया जाएगा। इसके बाद नतीजों के आधार पर आगे की रणनीति बनाते हुये इसको नियमित रूप से संचालित किया जाएगा।

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