खर्च हो गए नौ सौ करोड़, वाराणसी में नहीं रोक सके वरुणा में गिरते मलजल

नई सीवर लाइन व एसटीपी निर्माण में अब तक नौ सौ रुपये से अधिक खर्च हो गए लेकिन वरुणा व गंगा में गिरते मलजल को नहीं रोका जा सका है। इसकी वजह जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की लापरवाही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 09:20 AM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 09:20 AM (IST)
खर्च हो गए नौ सौ करोड़, वाराणसी में नहीं रोक सके वरुणा में गिरते मलजल
फुलवरिया क्षेत्र स्थित सीवेज पंपिग स्टेशन के पास बहता नाला जो गिरता है वरुणा नदी में जाकर।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। नई सीवर लाइन व एसटीपी निर्माण में अब तक नौ सौ रुपये से अधिक खर्च हो गए लेकिन वरुणा व गंगा में गिरते मलजल को नहीं रोका जा सका है। इसकी वजह जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की लापरवाही है। वरुणापार समेत लहरतारा, फुलवरिया, छावनी क्षेत्र, चौकाघाट आदि इलाके के करीब 27 हजार घरों में बने शौचालयों को सीवर लाइन से नहीं जुडऩे का दुष्परिणाम है। भूमिगत जल निकासी, रोड साइड ड्रेन समेत सीधे नालों से जुड़े घरों के शौचालय से निकली गंदगी नदियों में गिर रही है।

गंगा व वरुणा नदी में मिलने वाले नालों को लेकर एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती की है। प्रदूषण बोर्ड को संज्ञान में देते हुए कार्यवाही का निर्देश दिया है जिसको लेकर नगर निगम को प्रदूषण बोर्ड की ओर से पत्र लिखा गया है। नालों को बंद कर एसटीपी से जोडऩे के लिए डायवर्ट करने का सुझाव दिया है। इसके क्रम में नगर निगम प्रशासन ने वरुणा में गिर रहे नालों को बंद करने का दावा किया है लेकिन हकीकत यह है कि मलजल लिफ्टिंग पंप के लिए नाले के मुहाने पर ढांचागत निर्माण तो हो गया है लेकिन काम नहीं करने से मलजल को रोका नहीं जा सका है। सलारपुर के पास नरोखर नाला व ईमिलिया घाट स्थित फुलवरिया नाला के मुहाने पर लिफ्टिंग पंप के लिए हुआ ढांचागत निर्माण व वरुणा नदी में गिरता मलजल साफ दिखाई दे रहा है।

वर्तमान में वरुणा नदी में करीब पांच बड़े नाले तो आधा दर्जन छोटे नाले मिल रहे हैं। इससे भारी मात्रा में मलजल नदी में जाता है जो सराय मोहना के संगम पर वरुणा नदी से गंगा में मिल जाता है। ऐसे ही लंका क्षेत्र की ओर सीधे तौर पर तीन नाले गंगा में मिलते हैं। इसमें नगवां नाला बहुत बड़ा है जबकि सामने घाट के पास दो छोटे नाले हैं। इसके अलावा गंगा उस पार रामनगर से निकले छोटे-बड़े कुल पांच नाले गंगा में मिल रहे हैं। अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा ने बताया कि नाले को बंद करने का कार्य करीब-करीब पूरा हो गया है। वरुणापार इलाके के नाले को गाइठहां एसटीपी से जोड़ा जाएगा तो वरुणा इस पार के नाले को दीनापुर एसटीपी में मिलाया जाएगा। वहीं, लंका क्षेत्र में गंगा में गिर रहे नाले को रमना एसटीपी से जोड़ा जा रहा है। ऐसे ही रामनगर में भी एसटीपी बन गया है। गंगा उस पार के पांच नालों को जोड़ा जा रहा है।

लग चुका है 1.15 करोड़ जुर्माना

गंगा समेत सहायक नदी वरुणा को मैली करने वालों पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व एनजीटी ने पूर्व में जुर्माना लगाया है। एसटीपी के संचालन में लापरवाही पर 1.15 करोड़ जुर्माना लगाया है। हालांकि, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने नदियों के प्रदूषण को लेकर नालों को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद भी अब तक नाले बंद नहीं हुए।

इन एसटीपी पर लगा था जुर्माना

-भगवानपुर एसटीपी पर 7.74 लाख रुपये

-गोइठहां एसटीपी पर 90.30 लाख रुपये

-दीनापुर के 140 व 80 एमएलडी के एसटीपी पर 8.42 लाख रुपये

शाही नाले को किया जा रहा डायवर्ट

गंगा में गिर रहे शाही नाले से खिड़किया घाट पर गिर रहे 70 एमएलडी मलजल को रोकने के लिए शहर के पुराने इलाके से गुजरे शाही नाले को डायवर्ट किया जा रहा है। यह कार्य बीते दो साल से हो रहा है। कबीरचौरा स्थित महिला जिला अस्पताल से शाही नाले की आधी लाइन को मोड़ कर चौकाघाट लिफ्टिंग पंप से जोड़ा जाएगा ताकि दीनापुर में बने 140 एमएलडी क्षमता के नए एसटीपी तक मल-जल को भेजा जा सके।

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