ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण पर अगली सुनवाई तीन फरवरी को

ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर प्रतिवादी ने मंगलवार को आपत्ति दाखिल कर दी। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि मुकर्रर की है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 05:48 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 10:23 PM (IST)
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण पर अगली सुनवाई तीन फरवरी को
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण पर अगली सुनवाई तीन फरवरी को

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर  प्रतिवादी (अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी) ने मंगलवार को आपत्ति दाखिल कर दी।  अदालत ने अगली सुनवाई के लिए तीन फरवरी की तिथि मुकर्रर की है। ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विशेश्वरनाथ की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्टट्रैक कोर्ट) की अदालत में इस अपील पर सुनवाई चल रही है।

बता दें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वर व अन्य के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास तथा अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओ को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991में मुकदमा दायर किया था। उनकी ओर से यह कहा गया था कि मस्जिद ज्योर्तिलिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। वहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ,राग-भोग, दर्शन आदि का अधिकार है। इसके निर्माण, मरम्मत,पुनरोद्धार आदि कराने का अधिकार है। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं। वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने दस दिसंबर 2019 को इस आशय का प्रार्थना पत्र अदालत में प्रस्तुत किया है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वैवरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है।यह देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है। परिसर में ज्ञानवापी नाम का बहुत ही पुराना कुंआ है और इसी कुएं के उत्तर तरफ भगवान विश्वेश्वरनाथ का मंदिर है। मंदिर परिसर के कुछ भागों पर मुसलमानों ने अधिपत्य करके मस्जिद बना दिया। 15 अगस्त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही था। जबकि विपक्षियों का दावा है कि उक्त तिथि को इसका स्वरुप मस्जिद का था और आज भी कायम है। वादी पक्ष ने धार्मिक स्वरुप तय करने के लिए संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल के संबंध में भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की।वादमित्र के अधिवक्ता सुनील कुमार रस्तोगी ने भवन के बाहरी तथा अंदरूनी दीवारों,गुबंदों,तहखानों आदि के संबंध में ए.एस.आई.से भी निरीक्षण कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की है। अदालत ने इस अपील पर विपक्षियों से आपत्ति मांगा था।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति दाखिल की गई कि स्थानीय सर्वेक्षण वहीं हो सकता है जहां पर विवादित संपत्ति के संबंध में कोई अनिश्चितता हो अथवा निष्कर्ष निकालने में परेशानी हो तो उस स्थिति में अदालत वकील-कमिश्नर से आख्या मंगवा सकती है। सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी भी संपत्ति के संबंध में अदालत अपनी व्यवस्था के अलावा किसी अन्य विभाग से रिपोर्ट नहीं मंगवा सकती। मस्जिद स्थित न होने के संबंध में कोई विवाद नहीं है। वादीगण प्रार्थना पत्र के माध्यम से साक्ष्य एकत्रित करना चाहते हैं जो कानूनन संभव नहीं है। ऐसे में वादीगण का प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाये। इसी मामले में अंजूमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सेक्रेटरी मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त जाने पर आपत्ति करते हुए अतिरिक्त जवाबदेही दाखिल किया गया।

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