Netaji Subhash Chandra Bose Birth Anniversary : बंदी सुभाष ने मांडले जेल से बनारसी मित्र शिवनाथ चटर्जी को लिखी चिठ्ठी

Subhash Chandra Bose Birth Anniversary सुभाष बाबू जहां भी रहे बनारस से उनका नाता हमेशा जुड़ा रहा। अपने मित्रों व शुभेच्छुओं को वे अक्सर पत्र लिखा करते थे। इन पत्रों में व्यक्तिगत कुशलक्षेम के अलावा अध्यात्म साहित्य राष्ट्रवाद विश्व की दशा-दिशा तक के विषय विमर्श शामिल हुआ करते थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 07:50 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 11:24 AM (IST)
Netaji Subhash Chandra Bose Birth Anniversary : बंदी सुभाष ने मांडले जेल से बनारसी मित्र शिवनाथ चटर्जी को लिखी चिठ्ठी
सुभाष बाबू जहां भी रहे बनारस से उनका नाता हमेशा जुड़ा रहा।

वाराणसी [कुमार अजय]। Netaji Subhash Chandra Bose Birth Anniversary  सुभाष बाबू जहां भी रहे बनारस से उनका नाता हमेशा जुड़ा रहा। अपने मित्रों व शुभेच्छुओं को वे अक्सर पत्र लिखा करते थे। इन पत्रों में व्यक्तिगत कुशलक्षेम के अलावा अध्यात्म, साहित्य, राष्ट्रवाद, विश्व की दशा-दिशा तक के विषय विमर्श शामिल हुआ करते थे। (सुभाष वांगमय ग्रंथ) में उल्लिखित प्रसंग के अनुसार उन दिनों बर्मा के मांडले जेल में तीन साल की सजा काट रहे सुभाष बाबू ने अपने काशीवासी मित्र और सहपाठी शिवनाथ चटर्जी को जो पत्र लिखा है वह उनकी आत्मियता, जिज्ञासा, अध्ययनशीलता, देश की स्थितियों के प्रति उनकी चिंता सहित उनके विराट व्यक्तित्व के कई पहलुओं पर प्रकाश डालता है। बंगाल में लिखे गए इस ऐतिहासिक मूल पत्र के कुछ अंशों का भावानुवाद जस के तस-

प्रिय शिवनाथ चटर्जी,

322, हरिश्चंद्र घाट रोड बनारस    

मांडले जेल 4-6-1926

प्रिय शिवनाथ, मैं नहीं बता सकता की तब मुझे कितनी प्रसन्नता हुई जब तुमने अपने विवाह के अवसर पर मुझे याद किया। जिस दिन सवेरे मुझे तुम्हारा पत्र मिला उसी दिन मुझे अचानक तुम्हारी याद आई थी...

तुम्हारे पत्र को पाकर हमारे कालेज के दिनों के पुरानी और मधुर स्मृतियां मन में उभर आईं। जीवन सागर में उतराते हुए हम एक-दूसरे से दूर जा पड़े हैैं। अब मुझे तुमसे न जाने कितने सवाल पूछने की इच्छा होती है। अपनी खेती-वाड़ी के काम मेंंं तुमने कितनी प्रगति की है। क्या तुम्हारी वह पत्रिका अब भी प्रकाशित हो रही है। जिसमें तुम ऐतिहासिक विषयों पर लेख दिया करते थे...।

मैैं निम्नलिखित पुस्तकें खरीदना चाहता हूं। लेकिन मुझे पता नहीं कि वे कहां से मिलेंगी। अगर तुम किसी पुस्तक भंडार से प्रबंध कर सको कि वह वी.पी. द्वारा इन्हें यहां भेज दें तो बहुत अच्छा होगा। मैैं समझता हूं कि इनमें से कुछ बंदवासी कार्यालय या संस्कृत प्रेस डिपोजिटरी ने उपलब्ध होंगी। पुस्तकों की सूची इस प्रकार है।

1- हरतत्व दिधीति (हर कुमार ठाकुर द्वारा संकलित)

2- हरि भक्ति विलास

3- शुद्धि तत्वम

4- श्रद्धा तत्वम (रघुनंदन भट्टïाचार्य कृत)

5- अत्रि संहिता

6- विष्णु संहिता

7- हारीत संहिता

8- याज्ञवलक्य संहिता

9- उपना संहिता

10- अंगीरह संहिता

11- यम संहिता

12- उपस्तंब संहिता

13- सवत्र संहिता

14- कात्यायन संहिता

15- वृहस्पति संहिता

16- पारासर संहिता

17-व्यास संहिता

18-शंख संहिता

19-लिखित संहिता

20- दक्ष संहिता

21- गौतम संहिता

22- शत्पथ संहिता

23- वशिष्ट संहिता

24- बौद्धायन संहिता

अत्रि संहिता से वशिष्ट संहिता तक पंचानन तर्क रत्न द्वारा इनके अनुवाद किए गए हैैं। अच्छा होगा अगर मुझे इनके मूल श्लोकों के साथ बंगला अनुवाद मिल सके। अगर ऐसा न हो सके तो बंगाल अनुवाद से भी काम चलेगा...।

मैंने तुमसे एक साथ बहुत से सवाल पूछ लिए हैैं। बहुत से दावे किए हैैं। आशा है तुम अन्यथा न मानोगे। इन तमाम प्रश्नों और दावों में से तुम्हारे लिए जिनका भी उत्तर देना संभव हो और जिन्हें भी तुम सिद्ध कर सको वे ही मेरे लिए यथेष्ट होंगे। मैैं बखूबी समझ सकता हूं कि तुम्हारे लिए सभी प्रश्नों का उत्तर एक साथ देना संभव नहीं होगा। इसलिए तुम अपनी सुविधा के अनुसार उत्तर लिखते रहना। उन्हें मेरे पास भेजते रहना।

अगर तुम पत्र लिखो तो उन्हें इस पते पर भेजना

11 डीआईजी, आईबी, सीआईडी (बंगाल), 13 इलीजियम रो कलकत्ता।

अगर तुम वर्तमान पते पर पत्र लिखोगे तो वह मेरे पास काफी देर से पहुंचेंगे। कारण कि कलकत्ते से मुुझ तक पत्र बिना सेंसर हुए नहीं न आते। अगर तुम किताबें भेजों तो उन्हें द्वारा सुप्रिटेडेंट, सेंट्रल जेल मांडले (अपर बर्मा) के पते पर भेजना। पुस्तकों के पार्सल भेजते हुए डाक द्वारा जेल सुप्रिटेंडेंट के नाम उनकी सूचना भी भेजना। जिससे सहायता मिलेगी। क्योंकि तब जेल के अधिकारी पार्सलों की विशेष चिंता करेंगे। पत्र लंबा करने से कोई फायदा न होगा। अपने बारे में शुभ समाचार देकर मुझे प्रसन्नता प्राप्त करने का अवसर दो। तुम्हारा स्नेह सुभाष।

पुनश्च- यदि तुम्हारे पास जायसवाल की पुस्तकें हों तो क्या संभव होगा कि तुम उन्हें मेरे पास भेज सको। सुभाष

(विपलगी नायक की यह उपकथा नेताजी संपूर्ण वांग्मय के आधार पर)

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