जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए सदस्यों से मोलभाव, सभी दलों की जोर आजमाइश
जौनपुर के प्रथम नागरिक की कुर्सी यानी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। समाजवादी अपने मजबूत किले में शुमार जनपद की इस कुर्सी पर कब्जा बरकरार रखने को नाक का सवाल बनाए हुए है।
जौनपुर, जेएनएन। जिले के प्रथम नागरिक की कुर्सी यानी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। समाजवादी अपने मजबूत किले में शुमार जनपद की इस कुर्सी पर कब्जा बरकरार रखने को नाक का सवाल बनाए हुए है। वहीं सूबे में सत्ताधारी भाजपा दो दशक बाद इस कुर्सी को फिर हथियाने का सपना संजोए हुए है, हालांकि एनडीए का प्रमुख घटक अपना दल आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पर दबाव बनाए हुए है कि वह यह सीट गठबंधन धर्म निभाते हुए उसे लड़ने के लिए छोड़ दे।
दूसरी तरफ पूर्व सांसद धनंजय सिंह की ख्वाहिश है कि इस कुर्सी पर उनकी पत्नी श्रीकला सिंह विराजमान हों। सदस्यों से मोलभाव जोरों पर चल रहा है। इससे इतना तो पूरी तरह साफ हो गया है कि इस कुर्सी पर वही बैठेगा जो धनबल में बीस पड़ेगा। तीन जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशी 26 जून को नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। नाम वापसी के लिए 29 जून की तिथि मुकर्रर की गई है। सपा ने सदस्य पद के चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों की सूची तो जारी नहीं की थी, लेकिन दावा कर रही है कि 83 में से आधे से ज्यादा निर्वाचित सदस्य उसके कार्यकर्ता हैं या फिर दलीय विचारधारा से गहरा लगाव रखते हैं। उसने पूर्व अध्यक्ष कलावती यादव की पुत्र वधू निशी यादव को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर रखा है। निशी यादव के पति जितेंद्र यादव अपनी मां को इस कुर्सी पर बैठा चुके हैं और इस चुनावी समर के हर कौशल से परिचित हैं। सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने वाली भाजपा के जीतने वालों की संख्या दहाई के आसपास ही है। उसने अध्यक्ष पद के लिए अभी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान भी नहीं किया है। हालांकि उसकी एक सदस्य खुद की उम्मीदवारी पक्की मानकर जोड़तोड़ में जुटी हुई हैं। चर्चा है कि अपना दल (एस) की मुखिया पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल सूबे की जिन पांच जिलों को अपनी पार्टी के खाते में देने के लिए भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाए हुए हैं, उनमें जौनपुर प्रमुख है।
वोट के लिए मोलभाव ऑडियो क्लिप हो चुका है वायरल
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत के लिए धनबल का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। हर दावेदार और उसके रणनीतिकार नतीजे घोषित होने के बाद से ही सदस्यों के संपर्क में हैं। वोट के बदले नोट के लिए थैली का मुंह खोले हुए हैं। बोली का दौर चल रहा है। करीब पखवाड़े भर पहले वायरल ऑडियो क्लिप इसका प्रमाण है। इसमें एक सदस्य को काल करने वाला शख्स साफ-साफ कह रहा था कि अगर धनंजय अगर एक वोट के बदले 20 लाख देंगे तो वह 30 लाख। 30 लाख देंगे तो वह 40 और 40 देंगे तो 50 लाख देगा।