जौनपुर में सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को 12 घंटे की जगह साढ़े तीन घंटे ही बिजली आपूर्ति
नगर पालिका परिषद क्षेत्र से सटे कुल्हनामऊ में सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का सात महीने पहले कैबिनेट मंत्री नगर विकास आशुतोष टंडन ने उद्घाटन किया था। शुरुआत में तो यह कुछ चलता रहा लेकिन फिर कुछ दिनों बाद मशीनों की रफ्तार कम हो गई।
जौनपुर, जागरण संवाददाता। नगर पालिका परिषद क्षेत्र से सटे कुल्हनामऊ में सालिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का सात महीने पहले कैबिनेट मंत्री नगर विकास आशुतोष टंडन ने उद्घाटन किया था। शुरुआत में तो यह कुछ चलता रहा, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद मशीनों की रफ्तार कम हो गई। वजह कि प्लांट को 12 घंटे दिन में विद्युत आपूर्ति चाहिए, जिसके सापेक्ष महज साढ़े तीन घंटे आपूर्ति हो रही है। ऐसे में लक्ष्य के सापेक्ष कूड़ों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। कई बार विद्युत विभाग से पत्राचार करने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ।
नगर के समीप कुल्हनामऊ में 10.73 एकड़ भूमि पर इसका निर्माण कार्य सितंबर 2013 में शुरू हुआ। निर्माण 12.39 करोड़ की लागत से हुआ। इस समय कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस की तरफ से फर्म एटूजेड ने निर्माण कार्य कराया। शुरुआत में वर्ष 2016 तक काफी विवाद रहा। इसमें कभी भूमि के विवाद को लेकर कोर्ट का अड़ंगा रहा तो कभी ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ा। कार्यदायी संस्था की तरफ से एटूजेड को ठेके पर काम दिया गया। पहले लेटलतीफी के कारण भी काम में और देरी हुई।
रोजाना इतने कूड़ों का हो रहा निस्तारण : रोजाना नगर में 97 टन कूड़ों की निकासी होती है, इसमें से 70 से 80 टन का ही उठान होकर प्लांट पर हो पा रहा है। इसमें से बिजली कम मिलने के कारण औसत 25 से 30 टन ही कूड़ों का निस्तारण हो पा रहा है। शेष कूड़ों का निस्तारण न हो पाने से आस-पास के क्षेत्रों में दुर्गंध हो रही है। इससे ग्रामीणों को भी काफी समस्या हो रही है। उनकी तरफ से जिम्मेदारों को शिकायत की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
दो दशक तक एटूजेड करेगा प्लांट का संचालन : नगर पालिका क्षेत्र से निकलने वाले रोजाना 97 टन कूड़ों का निस्तारण कुल्हनामऊ स्थित सालिड वेस्ट मैनेजमेंट पर किया जाना है। इसके लिए वर्तमान में ठेके पर काम करने वाली संस्था एटूजेड ही अगले 20 वर्षों तक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर कार्य करेगी।
बोले अधिकारी : पूर्ण क्षमता के साथ प्लांट को चलने के लिए रोजाना 10 से 12 घंटे विद्युत आपूर्ति चाहिए, लेकिन महज साढ़े तीन घंटे ही आपूर्ति हो पा रही है। इससे कूड़ों का निस्तारण क्षमता के अनुसार नहीं हो पा रहा है। -संतोष मिश्रा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद।