भदोही में रामेश्वर कूड़े से तैयार कर रहे नेडेफ कंपोस्ट, बढ़ा रहे उत्पादन व गुणवत्ता
भदोही में रामेश्वर सिंह न सिर्फ घर व आस-पास की निकलने वाली कूड़े-कचरे के जरिए नेडेफ कंपोस्ट तैयार कर न सिर्फ स्वच्छता को नया आयाम दे रहे हैं।
भदोही, जेएनएन। स्वच्छता से ही स्वस्थ रहा जा सकता है। स्वच्छता को लेकर तमाम कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। लोगों को घर, गांव में निकलने वाली गंदगी का उचित निस्तारण करने के लिए जागरुक करने के साथ ही अनुदान पर शौचालय का निर्माण भी शासन स्तर से कराया जा रहा है। इन तमाम कवायद के बाद भी लोग साफ-सफाई को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। सफाई के बाद निकलने वाले कूड़े-कचरे को यहां-वहां ठिकाने लगाने के ही तर्ज पर निस्तारण करते दिखाई पड़ते हैं। जबकि इससे मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर किसी का ध्यान नहीं रहता। ऐसे समय में भी कूड़ा निस्तारण के प्रति गंभीर जिले के परऊपुर निवासी रामेश्वर सिंह न सिर्फ घर व आस-पास की निकलने वाली कूड़े-कचरे के जरिए नेडेफ कंपोस्ट तैयार कर न सिर्फ स्वच्छता को नया आयाम दे रहे हैं बल्कि इसका उपयोग कर फसल की उत्पादन व गुणवत्ता को भी बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही अन्य किसानों व ग्रामीणों को भी कूड़े से कंपोस्ट तैयार करने के लिए जागरुक भी करते रहते हैं।
10 वर्ष पहले बनाया है नेडेफ का गड्ढा
जैविक खाद की हो रही अनदेखी व रसायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी में घटते जीवांश कार्बन की मात्रा घटती जा रही है। इससे जहां उत्पादन प्रभावित हो रहा है तो उत्पादन की गुणवत्ता में भी कमी आती जा रही है। इसे देखते हुए रामेश्वर ने करीब 10 वर्ष पहले नेडेफ कंपोस्ट तैयार करने के लिये यूनिट की स्थापना की। बताया कि वह लगातार इससे जैविक उर्वरक तैयार कर रहे हैं। इसके उपयोग से जहां मिट्टी में पौष्टिक तत्व की पूर्ति हो जा रही है तो कचरे को कहां ठिकाने लगाया जाय इस ङ्क्षचता से भी निजात मिल चुकी है। घर व आस-पास सफाई में निकलने वाले सारे कचरे, घास-फूस आदि को यूनिट के गड्ढे में डाल दिया जाता है। इससे गंदगी इकटठा नहीं होने पाती तो उपयुक्त जैविक उर्वरक भी मिल जाता है। इसके अलावां पालीथिन आदि को एक जगह गड्ढे में इकटठा कर जलाकर निस्तारित कर दिया जाता है।
प्रत्येक व्यक्ति को दायित्व के प्रति होना होगा सजग
ग्राम पंचायतों के भ्रमण-निरीक्षण के दौरान कूड़े-कचरे का अंबार दिखाई पड़ता है। जिसमें ज्यादात मात्रा प्लास्टिक की होती है। इन पालीथिन का प्रयोग कम करना व कूड़े-कचरे का प्रबंधन जागरूकता से ही संभव है। जनपद में ओडीएफ प्लस के क्रिया कलापों को संपादित कराने के साथ ग्राम पंचायतों में पूर्व से संचालित योजनाओं में कूड़े-कचरे के प्रबंधन पर ध्यान देते हुए कूड़ेदान, सोख्ता गड्ढे, नालियों आदि का निर्माण कराया जा रहा है। इन सबके बाद भी जरूरत यह है कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य व दायित्व के प्रति सजग हों।
यूं तो जिले के 561 ग्राम पंचायतों 1091 राजस्व गांवों में ठोस व तरल अपशिष्ठ के निस्तारण के लिए गड्ढों का निर्माण कराने के लिए निर्देशित किया गया है। अब तक राज्य वित्त से 752 व मनरेगा से 508 कुल 1260 गड्ढों का निर्माण कराया जा चुका है। इसके साथ ही 629 सोख्ता पिट, 1380 मीटर नाली आदि का कार्य कराया गया है। प्लास्टिक एवं अन्य अजैविक पदार्थ के निस्तारण के लिए प्रत्येक गांव व मजरों में प्लास्टिक संग्रह के लिए कंटेनर की व्यवस्था करते हुए ग्राम पंचायतों को मार्केट से लिंक करने की कार्रवाई की जा रही है। इन सबके बावजूद लोगों को व्यक्तिगत तौर पर जागरुक होना होगा। घर व आस-पास साफ-सफाई के बाद निकले कूड़े-कचरे व अन्य गंदगी को उचित स्थान पर निस्तारित करना होगा। प्लास्टिक के उपयोग से किनारा करना होगा।
- बालेशधर द्विवेदी, डीपीआरओ, पंचायत राज विभाग।