Navratri 2020 : नवरात्र के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री का पूजन, करें घर बैठे मां का दर्शन और जानें विधान
भगवान शिव की नगरी काशी में शक्ति की आराधना के लिए नौ देवी स्थान बने हैं जहां पर अलग अलग दिन देवी के अलग अलग स्वरुपाें की पूजा का विधान है। वाराणसी में नवरात्र के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
वाराणसी, जेएनएन। भगवान शिव की नगरी काशी में शक्ति की आराधना के लिए नौ देवी स्थान बने हैं जहां पर अलग अलग दिन देवी के अलग अलग स्वरुपाें की पूजा का विधान है। वाराणसी में नवरात्र के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है। रविवार को मंदिर में वहीं रात तक करीब पांच हजार लोग दर्शन पूजन कर चुके थे।
सिद्धिदात्री देवी का यह स्वरूप समस्त प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है इसलिए देवी का नाम सिद्धिदात्री पड़ा। इनकी आराधना शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन होती है, इस बार 25 अक्टूबर, रविवार को देवी की पूजा हो रही है। काशी में इनका मंदिर गोलघर (मैदागिन) क्षेत्र स्थित है। हिमाचल के नंदा पर्वत पर देवी का मूल स्थान माना गया है। देवी की कृपा से उनका उपासक कठिन से कठिन कार्य सफलतापूर्वक कर लेता है। देवी की साधना से समस्त प्रकार की लौकिक और पारलौकिक कामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव को भी शिवरात्रि की कृपा से ही समस्त सिद्धियां प्राप्त हुई मानी जाती है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार शारदीय नवरात्रि के नवें दिन भगवती दुर्गा के नौ स्वरूप सिद्धिदात्री का दर्शन पूजन करने का विधान है।
मंत्र का जाप : देवी की कृपा प्राप्ति के लिए 'सिद्ध गंधर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी' मंत्र का जाप करने का विधान है। 'श्री' वृद्धि के लिए द बीज मंत्र माना जाता है इसलिए इसे श्री मंत्र भी कहते हैं।
आराधना का मान : जैसा देवी का नाम है वैसा ही इनका गुण और संदेश है, इनकी आराधना से साधक कभी निर्धन नहीं रहता लेकिन इसके लिए कर्म महत्वपूर्ण है, जिससे हर सिद्धि प्राप्त की जा सकती है। शारदीय नवरात्र का समापन साधक के कार्यों में सिद्धि प्राप्त करने से होता है। मां सिद्धिदात्री महिषासुर त्रिपुर सुंदरी के रूप में विद्यमान हैं।
आज का संदेश : देवी का स्वरूप संदेश देता है कि श्रेष्ठ कर्मों से कोई भी काम असंभव नहीं है।