नवसंवत्सर 2078 ‘आनंद’ के राजा और मंत्री भी मंगल, जानिए इस पूरे हिंदू नववर्ष का शुभफल

हिंदी नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से माना जाता है। हिंदी वर्ष का समापन तो फागुन से ही हो जाता है लेकिन शुक्ल पक्ष यानी उजास पक्ष (अजोरिया) में शक्ति की अधिष्ठात्री परांबा मां जगदंबा के पूजा आराधना के काल नवरात्र के साथ नव संवत्सर का आरंभ होता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 11:20 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 04:22 PM (IST)
नवसंवत्सर 2078 ‘आनंद’ के राजा और मंत्री भी मंगल, जानिए इस पूरे हिंदू नववर्ष का शुभफल
हिंदी नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से माना जाता है।

वाराणसी, जेएनएन। हिंदी नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से माना जाता है। हालांकि, हिंदी वर्ष का समापन तो फागुन से ही हो जाता है, लेकिन शुक्ल पक्ष यानी उजास पक्ष (अजोरिया) में शक्ति की अधिष्ठात्री परांबा मां जगदंबा के पूजा आराधना के काल नवरात्र के साथ नव संवत्सर का आरंभ होता है। प्रति प्रतिपदा उदया बेला में 13 अप्रैल मंगलवार को मिल रही है आता नव संवत्सर 2078 का आरंभ इसी दिन से माना जाएगा। इसे आनंद नाम से जाना जाएगा और इसका ही पूजन- अनुष्ठान, यज्ञ विधान आदि के संकल्पादि में इसका ही विनियोग होगा।

अबकी नव संवत के राजा और मंत्री पद भी पृथ्वी पुत्र मंगल के पास ही होगा। इसके प्रभाव से संपूर्ण विश्व पटल पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा और सैन्य शक्ति व सामर्थ्य भी। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार इस वर्ष के राजा व मंत्री के पद पर पृथ्वी पुत्र मंगल के ही आसीन होने से देश व प्रदेश की राजनीति में सत्तासीनों में समरसता रहेगी। देश में भूमि-भवन, सड़क, परिवहन, इमारतों के अत्यधिक कार्य होते दीख पड़ेंगे। खाद्यान्नों व अन्य खाद्य पदार्थ सस्ते होंगे। मंगल के चलते देश की सैन्य शक्ति भी मजबूत होगी। जो देश में अस्त्र-शस्त्र के आयात-निर्यात को भी बढ़ावा देगी, इससे देश को अत्यधिक लाभ होना तय है। वहीं विश्व पटल पर भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा। पड़ोसी देश भारत के सामने घुटने टेकते दिखाई देंगे। लेकिन मंगल दुर्घटना का भी कारक ग्रह है। अत: देश में तमाम अप्रत्याशित घटनाएं भी देखने को मिलेंगी। जय-लग्न से विचार करने पर लग्न में नीच राशिगत बुध व जय भाव में वृहस्पति व लग्न के तृतीय भाव में मंगल राहु का अंगारक योग बना है।

अर्थात बृहस्पति से मंगल राहु का चतुर्थ दशम योग भारत सहित विश्व पटल पर भारी भूकंप, प्राकृतिक आपदा, दैवीय आपदा, सुनामी, महामारी देने वाला होगा तो वहीं, विश्व के कई देशों में आपसी विवाद की स्थिति या युद्ध की संभावना बनी रहेगी। कट्टरपंथी ताकतें उत्तर पश्चिम या दक्षिण पश्चिम देशों में अनेकानेक उपद्रवकारी घटनाओं को जन्म देंगी। लग्न पर मीन राशि का नीच का बुध व केतु की पंचम दृष्टि अर्थात बुध केतु का नवपंचक योग के चलते व्यापारी वर्गों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्साह कम दिख पड़ेगा। व्यापारी वर्ग पीड़ित रहेगा। उद्योग धंधों में कमी दिखेगी। बेरोजगारी की मात्रा बढ़ेगी। शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। 

आर्द्रा प्रवेशांक के विचार से मंगल नीचस्थ होकर शुक्र के साथ विराजमान होकर सूर्य से आगे है। इससे देश के सीमावर्ती समुद्री क्षेत्रों में प्रलयकारी वर्षा, तूफान आदि देखने को मिलेगा। इस वर्ष वर्षा सामान्य होगी। कहीं अल्प तो कहीं अत्यधिक वर्षा अर्थात खंड वृष्टि के योग दिखेंगे। रबी खरीफ की फसल संतोषजनक रहेंगी।

संपूर्ण विश्व में पहली जनवरी से आरंभ होने वाला आंग्ल नववर्ष ही आम कामकाज में व्यवहृत है परंंतु भारतीय सनातन परंपरा के सभी संस्कार भारतीय काल गणना पद्धति विक्रम संवत्सर पर आधारित हैं। भारतीय काल गणना पद्धति चंद्र गणना पर आधारित है। इसी आधार पर विक्रम संवत की गणना की जाती है। चंद्रगणना पद्धति में चंद्रमा की 16 कलाओं के आधार पर दो पक्षों का एक मास माना जाता है। ऐतिहासिक तथ्य यह है कि इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शक क्षत्रपों को परास्त कर सनातन धर्म की ध्वजा लहराई और विक्रम संवत का प्रारंभ किया। यह विक्रम संवत ईस्वी सन से 57 वर्ष आगे चलता है।

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