रामनगर बंदरगाह से सोलह कंटेनर लेकर टैगोर जलपोत मंगलवार को होगा रवाना

विश्‍व की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी मस्‍र्क लाइन द्वारा मंगलवार को गंगा नदी (राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1) पर वाराणसी से कोलकाता तक 16 कंटेनर रवाना होंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 11 Feb 2019 07:05 PM (IST) Updated:Mon, 11 Feb 2019 07:05 PM (IST)
रामनगर बंदरगाह से सोलह कंटेनर लेकर टैगोर जलपोत मंगलवार को होगा रवाना
रामनगर बंदरगाह से सोलह कंटेनर लेकर टैगोर जलपोत मंगलवार को होगा रवाना

वाराणसी, जेएनएन। विश्‍व की सबसे बड़ी कंटेनर शिपिंग कंपनी मस्‍र्क लाइन द्वारा मंगलवार को गंगा नदी (राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1) पर वाराणसी से कोलकाता तक 16 कंटेनर रवाना होंगे। दुनिया भर में मस्‍र्क के सालाना 12 मिलियन कंटेनर चलते हैं। यह कंपनी पहली बार भारत में अंतरदेशीय जलमार्गों का इस्‍तेमाल कर रही है।गंगा नदी पर मस्‍र्क के कंटेनर उसी प्रकार आवाजाही करेंगे जिस प्रकार पेप्सिको, इमामी एग्रोटेक, इफको फर्टिलाइजर, डाबर इंडिया जैसी कंपनियों द्वारा कंटेनर आवाजाही की जाती है।

मस्‍र्क के अंतर्देशीय जलमार्ग से जुड़ जाने से आंतरिक इलाकों से सीधे बांग्‍लादेश तक और बांग्‍लादेश से आंतरिक इलाकों तक तथा बंगाल की खाड़ी से होते हुए शेष विश्‍व तक कार्गो आवाजाही की जाएगी। 12 नवंबर, 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में गंगा नदी (राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1) पर भारत का पहला नदी तट मल्‍टीमॉडल टर्मिनल राष्‍ट्र को समर्पित किया था। उन्‍होंने उसी दिन गंगा नदी (राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1) पर कोलकाता से वाराणसी जाने वाले देश के पहले कंटेनर कार्गो को भी रिसीव किया। भारत में अंतर्देशीय जल परिवहन (अजप) के विकास में न केवल ऐतिहासिक साबित हुई बल्कि ये राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1 पर व्‍यापारिक गतिविधियों में भी तेजी से उछाल का कारण बनी।

कंटेनर कार्गो परिवहन में कई फायदे अंतर्निहित हैं। जहां इससे हैंडलिंग लागत कम होती है, मॉडल शिफ्ट आसान होता है, चोरी और क्षति कम होती है, वहीं इससे कार्गो मालिक अपने कार्बन फुटप्रिंट को भी कम कर सकते हैं। सरकार, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से हल्दिया से वाराणसी (1390 किलोमीटर) तक 5369 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के तहत राष्ट्रीय जलमार्ग -1 (गंगा नदी) को विकसित कर रही है। इस परियोजना से 1500-2,000 डीडब्ल्यूटी की क्षमता वाले जलयानों का वाणिज्यिक नौचालन संभव हो पाएगा।

केन्‍द्रीय पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अगस्‍त, 2016 में हल्दिया से वाराणसी तक मारूती कार की एक खेप को हरी झंडी दिखाई। तब से राष्‍ट्रीय जलमार्गों के कई खंडों पर प्रायोगिक आवाजाही की जा रही है। उनमें से 15 प्रायोगिक आवाजाही सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी है, जिसमें राष्‍ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा),भारत-बांग्‍लादेश प्रोटोकॉल मार्ग और राष्‍ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) के जरिए एकीकृत आवाजाही शामिल हैं।

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