राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस : हर मुश्किल घड़ी में आगे खड़े रहे स्वास्थ्य विभाग के मुखिया डॉ. वीबी सिंह

फिजीशियन डॉ बिधान चन्द्र रॉय के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म एक जुलाई 1882 में हुआ था और इसी दिन सन 1962 में देहांत हुआ। अपने 80 साल के जीवन में आधा जीवन चिकित्सा के क्षेत्र में समर्पित किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 06:18 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 06:18 PM (IST)
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस : हर मुश्किल घड़ी में आगे खड़े रहे स्वास्थ्य विभाग के मुखिया डॉ. वीबी सिंह
फिजीशियन डॉ बिधान चन्द्र रॉय के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है।

वाराणसी [मुहम्‍मद रईस]। हर साल एक जुलाई को प्रख्यात फिजीशियन डॉ बिधान चन्द्र रॉय के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। उनका जन्म एक जुलाई 1882 में हुआ था और इसी दिन सन 1962 में देहांत हुआ। अपने 80 साल के जीवन में आधा जीवन चिकित्सा के क्षेत्र में समर्पित किया। एक फरवरी 1961 को उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाज़ा गया।

यह दिन उन्ही के याद में और डॉक्टर को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है । देखा जाए तो कोरोना काल में न जाने ऐसे कितने डॉक्टर हैं जिन्होने नागरिकों की दिन रात सेवा करके लाखों लोगों की ज़िंदगी बचाई है । जब भी कोरोना वारीयर्स की बात आती है तो हम डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड ब्योय के कर्तव्यों को भुलाया नहीं जा सकता । ऐसे ही स्वास्थ्य विभाग के मुखिया यानि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह (फिजीशियन) हैं, जिन्होने इस मुश्किल घड़ी से वाराणसी को उबारा है और उसमें कामयाब भी हुये । 23 मार्च 2020 को जब वाराणसी में पहला कोविड-19 पॉज़िटिव मिला था, तब से आज तक उन्होने जिले की स्थितियों को बेहतर तरीके से संभाल रखा है। हालांकि, 23 मार्च से पहले भी वह जिला प्रशासन के नेतृत्व में कोविड-19 चिकित्सालयों और अन्य चिकित्सा संबंधी प्रबंधन कार्यों में जुटे रहे । इस बीच उन्हें कई मुश्किलों को भी सामना करना पड़ा । लेकिन इन सबके बावजूद उनका कार्य करने का उत्साह कभी कम नहीं हुआ । ‘जो सुमिरै हनुमत बल बीरा’ कुछ इस मंत्र पर उन्होने अपने सम्पूर्ण कार्यों का निर्वाहन किया ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा – “जब वाराणसी में कोरोना का पहला मरीज सामने आया तो जनमानस में डर का माहौल पैदा हो गया था । लेकिन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने हर स्थिति को काबू में किया । शासन के निर्देशानुसार व जिलाधिकारी के नेतृत्व में धीरे-धीरे सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल की गईं । कर्फ़्यू और लॉकडाउन लगाकर लोगों को घर पर ही रहने का निर्देश दिया और सख्ती से भी पालन कराया । कोरोना की पहली लहर को हमने कमजोर कर दिया था और बहुत हद तक इस पर काबू पा लिया था, लेकिन अचानक से दूसरी लहर के आने से मुश्किलें बढ़ गईं थीं । मा0 प्रधानमंत्री जी के विज़न ‘ट्रेस, ट्रैक और ट्रीटमेंट’ को ध्यान में रखते हुये हर संभव प्रयास किए गए। जिले में ऑक्सीज़न की कमी को दूर करने के लिए ऑक्सीज़न सिलेन्डर की व्यवस्था की गयी, ऑक्सीज़न एक्स्प्रेस से जिले को ऑक्सीज़न प्राप्त हुयी, ऑक्सीज़न कन्सेंट्रेटर की व्यवस्था भी हर कोविड चिकित्सालय में की गयी। रेमेडेसिविर इंजेक्शन की कमी को समय-समय पर सरकार द्वारा जिले में उपलब्ध होती रहीं जिससे गंभीर मरीजों को कोई परेशानी न हो। चिकित्सालयों में बेड की कमी को पूरा किया । केंद्र सरकार की ओर से डीआरडीओ ने बीएचयू में खुद का अस्पताल खड़ा किया । इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी कोविड-19 मेडिसिन किट का वितरण निरंतर किया जा रहा है”। उन्होने कहा कि जिले में कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पा लिया गया है। कोविड-19 पॉज़िटिव की संख्या लगातार कम होती जा रही है जिसका श्रेय जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के समस्त चिकित्सा अधिकारियों, डॉक्टरों, स्टाफ नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, अग्रिम पंक्ति की स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं अन्य कर्मचारियों को जाता है। संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर तैयारी करने में जुट गया है।

कोरोना पॉज़िटिव हुए लेकिन कोरोना को मात देकर पुनः ड्यूटी पर लौटे -

स्वास्थ्य केन्द्रों के निरीक्षण के दौरान सभी सावधानियों का ध्यान रखते में हुये वह कोरोना पॉज़िटिव भी हुये। लेकिन होम आइसोलेशन में 10 दिन से अधिक रहकर उन्होने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान दिया और स्वस्थ रहकर पुनः ड्यूटी पर लौटे । हालांकि होम आइसोलेशन में भी रहकर भी उन्होने स्वास्थ्य विभाग कार्यों में बाधा नहीं आने दी और इसका सम्पूर्ण निर्वाहन किया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा – “हर दिन सैकड़ों फोन आते हैं जिनका जवाब देना अनिवार्य होता है, क्योंकि वर्तमान समय में टेलीफोन का महत्व बढ़ गया है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र का मुख्य चिकित्सा अधिकारी होना और उनके दिशा-निर्देशों व विज़न पर कार्य करने से अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली मानते हैं”।

जब आपदा में छूटा अपनों का साथ 

इस कोरोना काल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने परिवार के दो सदस्यों को खोया है, जनवरी 2021 में छोटे भाई का असामयिक निधन हो गया था तो वहीं अप्रैल के अंतिम सप्ताह में पिताजी का स्वर्गवास हो गया था। बहुत दुःख होता है जब किसी के सिर से पिता का साया उठ जाता है। लेकिन इस मुश्किल घड़ी में उन्होने अपने आपको मजबूत बनाए रखा, क्योंकि उनके ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियों का भार था जिसका उन्हें निर्वाहन करना था।

टीकाकरण ने दिखाई जीत की राह

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री के नेतृत्व और भारतीय वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के दिन रात के प्रयास से कोविड-19 टीकाकरण को इजात किया गया। इससे पूरे देश को जीत की राह दिखने लगी । मा0 प्रधानमंत्री ने 16 जनवरी से वाराणसी जिले के साथ ही पूरे देश में टीकाकरण की शुरुआत की । इसके बाद लोगों ने भारी संख्या में बढ़चढ़ का हिस्सा लिया और टीकाकरण कराया । इस बीच सोशल मीडिया में टीकाकरण को लेकर कई अफवाह भी आयीं लेकिन इन सबको सरकार द्वारा दूर करते हुये लोगों को जागरूक किया गया और उनके डर को जीत की राह में बदला गया । उन्होने बताया कि जनपद में अबतक सवा आठ लाख से ज्यादा लोग टीका लगवा चुके हैं जिसमें युवाओं का बहुत अधिक सहयोग रहा । वर्तमान में टीकाकरण केन्द्रों पर युवाओं की संख्या अधिक देखी जा रही है।

अपने सरल स्वभाव और सबके प्रति सम्मानभाव रखने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह, साल 2016 से चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मुखिया बने हुये हैं। इसी जज्बे, जोश और उत्साह से ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी कहा जाता है। जनमानस से उनकी यही अपील है कि इन मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दें और बताए गए सभी प्रोटोकॉल का अवश्य ध्यान रखें। कोविड-19 टीकाकरण जरूर कराएं। टीकाकरण के बाद भी दोहरे मास्क, दो गज दूरी और साबुन पानी से बार-बार अच्छी तरह हाथ धोने की आदत डालें।

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