काशी में अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में मुसलमान-ईसाई बन गए हिंदुओं से घर वापसी की अपील

आयोजन के दौरान पश्चिम बंगाल एवं केरल में निरंतर हिन्दुओं की हत्या और प्रताड़ित करने के कार्य और इन घटनाओं पर वामपंथी लेखक और विचारकों का मौन स्वीकृति तथा हिन्दू समाज की छोटी-छोटी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर असत्य रूप में प्रस्तुत कर समाज में तनाव पैदा करने पर मंथन हुआ।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 02 Jan 2021 06:14 PM (IST) Updated:Sat, 02 Jan 2021 06:14 PM (IST)
काशी में अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में मुसलमान-ईसाई बन गए हिंदुओं से घर वापसी की अपील
दो दिवसीय अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में कई मामलों पर गंभीरता से मंथन किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। काशी में आयो‍जित दो दिवसीय अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में कई मामलों पर गंभीरता से मंथन किया गया। शनिवार को दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के प्रथम दिन का आयोजन हुआ। बैठक की शुरूआत हिन्दू धर्म के चारों वेदों का स्वास्ति वाचन काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी व बटुकों के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

आयोजन के दौरान पश्चिम बंगाल एवं केरल में निरंतर हिन्दुओं की हत्या और प्रताड़ित करने के कार्य और इन घटनाओं पर वामपंथी लेखक और विचारकों का मौन स्वीकृति तथा हिन्दू समाज की छोटी-छोटी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर असत्य रूप में प्रस्तुत कर समाज में तनाव पैदा करने पर मंथन हुआ। बैठक में आह्वान किया गया कि देश की संत शक्ति सभी जातीय भेदभाव मिटाकर समरस समाज बनाने के अपने कार्य को तीव्रगति दे।

अखिल भारतीय संत समिति ने आह्वान किया कि परिवार परम्परा को पुनः स्नेह और धर्मपालन से मजबूत किया जाए ताकि बहन-बेटियों को किसी के बनावटी प्रेमजाल में पड़ने से बचाया जा सके। अखिल भारतीय संत समिति ने कुछ पीढ़ियों से मुसलमान-ईसाई बन गए बंधुओं से आग्रह किया कि करता है अपने पुनीत हिन्दू धर्म में ससम्मान लौट आएं। रविवार को कार्यकारिणी बैठक के द्वितीय दिवस की घोषणा के साथ शनिवार को सत्र की बैठक समाप्ति की घोषणा की गई।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता पातालपुरी पीठाधीश्वर बालकदास जी महाराज जी ने देशभर से पधारे सभी संतों का काशी की पावन धरा पर स्वागत करते हुए बाबा विश्वनाथ की पावन नगरी में पूज्य संतों का आगमन हम सभी काशीवासियों के लिए परम सौभाग्य है। आज काशी नगरी में ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसा कि कुंभों में प्रतीत होता है। आज उसी प्रकार से हृदय में उल्लास है। काशी की आवाज पूरी दुनिया में गूंजती है। राम मंदिर निर्माण व सम्पूर्ण भारत में अन्य धर्म क्षेत्रों को लेकर संतों की आवाज सम्पूर्ण देश के लिए सनातन संस्कृति के अभ्युदय का मार्ग प्रशस्त करेगी।

धर्मार्थ कार्य और संस्कृति मंत्री राज्यमंत्री डॉ. नीलकण्ठ तिवारी जी ने कहा कि धर्मार्थ कार्य का विभाग सन् 1983 में ही बन गया था लेकिन निदेशालय नहीं होने के कारण उसका किसी भी प्रकार से उपयोग नहीं हो पा रहा था। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना काशी में होने के साथ ही धर्म व पर्यटन से जुड़े विकास कार्यों को बल प्राप्त होगा।

संतों के प्रति भावों को प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि मैं ऐसे महापुरुषों के बीच आकर स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं। भारतीय सभ्यता में संस्कृति के बारे में कहा गया है कि आध्यात्मिक भाव का प्रकटीकरण ही संस्कृति है। हमारे सांस्कृतिक पक्ष को ध्वस्त करने के लिए कालांतर में अनेकों बार आक्रमण हुए। मुगलों और अंग्रेजों सहित विभिन्न आक्रांताओं ने कभी मां गंगा में स्नान करने को लेकर हम पर प्रतिबंध लगाया तो कभी मंदिरों में दर्शन-पूजन पर टैक्स लगाया। भगवा वस्त्र पहनने पर भी प्रतिबंध लगाया। तभी हमारे बीच संत रविदास जी आते हैं और कहते हैं कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। आप सभी संतों के संकल्प के कारण देश की राष्ट्रीयता बनी रही। संतों ने समाज में यह भाव जगाया कि कोई राजसत्ता हमारा राजा नहीं, हमारे राजा रामचंद्र हैं। इसीलिए प्रत्येक राज्य की आवश्यकता है कि वह धार्मिक स्थानों के संरक्षण व विकास के कार्य प्रमुखता से करें।

कहा कि आज उत्तर प्रदेश में अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, काशी सहित सभी स्थानों पर हमारे ऐतिहासिक स्थलों का विकास हो रहा है। आगे विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि विदेशों से कोई भी व्यक्ति जब दुनिया में सबसे बेहतर शासन की कल्पना करता है तो वह रामराज्य की कल्पना करता है तो वह उत्तर प्रदेश में ही अयोध्या पहुंचता है। मंत्री जी ने बताया कि सनातन संस्कृति के तीर्थ क्षेत्रों के ही कारण ही उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में 18 स्थान से पहले स्थान पर पहुंच गया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि अयोध्या में 5 अगस्त, 2020 को रामजन्मभूमि पूजन के पश्चात प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण के लिए जो अभियान चलाया गया है वह संतों के आशीर्वाद की ही देन है। राम मंदिर के लिए जुटाएं जा रहे चंदे का एक-एक दिन का हिसाब-किताब बैकों में जमा हो जाएगा। इस कार्य के लिए तीन बैंकों (स्टेट बैंक, पंजाब बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा) की लगभग 46 हजार शाखाओं को लगाया गया है। निधि समर्पण अभियान में लगे कार्यकर्ताओं को इन रुपयों को अपने जेब में 48 घंटे से ज्यादा नहीं रखना है। व्यवस्था यह की गई है कि प्रतिदिन रात 11 बजे तक की सूचना बैंक मंदिर तीर्थ ट्रस्ट को दे देगा कि आज अमूक शाखा में इतने रुपये जमा हुए। बताया कि विभिन्न महानगरों के लगभग चार हजार वॉर्डों, चार लाख गांवों के 11 करोड़ परिवार तक निधि समर्पण अभियान में सम्पर्क की योजना है। इस कार्य में कार्यकर्ताओं के मेहनत से भरपूर सफलता मिलेगी। इसके लिए १०, १०० और १००० रुपये के तीन कूपन बनाए गए हैं। सभी चेक रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र टस्ट के नाम से ही बनेंगे। अभियान को और संबल बनाने के लिए विभिन्न राज्यों में स्थानीय भाषाओं में पम्फलेट भी बंटवाए जा रहे हैं जिसमें राम मंदिर का इतिहास और गौरव लिखा हुआ है। पूरे विश्व में ऐसा संदेश जाना चाहिए कि यह राष्ट्र के सम्मान और अस्मिता का मंदिर बन रहा है। लाखों कार्यकर्ता छोटी-छोटी टोलियों में कार्य कर रहे हैं। चम्पत राय जी ने बताया कि श्रीराम मंदिर के लिए 14 जनवरी से शुरू हो रहे अभियान में सम्बंधित सभी जनपदों के कार्यकर्ताओं उच्च नेतृत्व में अपना-अपना सहयोग दें।

महानिर्वाणी अखाड़े के रविंद्रपुरी जी ने मां गंगा को प्रणाम करते हुए अपने सम्बोधन की शुरूआत की। काशी को वंदन करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा हेतु और आने वाले समय में उत्पन्न चुनौतियों का समाधान प्रशस्त करने के लिए संत समाज को संगठित होना आवश्यक है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविचल दास जी महाराज ने आए हुए सभी संतों व काशी के विद्वत समाज के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे भारत में वर्तमान सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों के विकास की जो नीतियां प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जा रही हैं, मैं इसके लिए साधुवाद देता हूं। साथ ही अपेक्षा भी करता हूं कि काशी में आयोजित यह बैठक एक शृंखला के रूप में सम्पूर्ण भारत के क्षेत्र में आयोजित हो।

आयोजन समिति द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के आयोजन व समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी लोगों को जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद महाराज जी द्वारा अंगवस्त्रम से सम्मानित होने का अवसर प्राप्त हुआ। सम्मानित होने वाले प्रमुख लोगों में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टीएन सिंह, श्री लक्ष्मण आचार्य, डॉ. नीलकण्ठ तिवारी जी, श्री अखिलेश खेमका, श्री किशन जालान, श्री हरिहर पाण्डेय, डॉ. एमजी राय, श्री नीरज बदलानी सहित अन्य लोग शामिल रहे।

द्वितीय सत्र के प्रारम्भ में विश्व हिन्दू परिषद के अशोक तिवारी ने भारत में उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज नगरीय व ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में लव जेहाद की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इसका मुख्य कारण सनातन संस्कृति की जीवन-मूल्यों से युवाओं का दूर होना। साथ ही साथ इस्लामिक संगठनों द्वारा साजिश करते हुए इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे इस्लामीकरण को फैलाया जा सके। भारतीय समाज को संरक्षित और एकीकृत करने हेतु आवश्यकता है ऐसे सम्मेलनों की जो व्यापक रूप से जनजागरण द्वारा भारतीय समाज को भारतीय संस्कृति से जोड़ सके। आज आयोजित बैठक में दो प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

पहले प्रस्‍ताव के अनुसार अखिल भारतीय संत समिति की राष्ट्रीय कार्यसमिति के पूज्य संतों की यह सभा विश्व हिन्दू परिषद को अपना आशीर्वाद देती है कि 492 वर्षों के कलंक को मिटाने के लिए संतों के आदेश से न्यायालय से लेकर ग्राम-ग्राम तक इस धर्म युद्ध को लड़ा। पांच अगस्त 2020 को हुए भूमि-पूजन के पश्चात दिव्य और भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिन्दू परिषद की भूमिका और महत्त्वपूर्ण हो जाती है। विश्व के प्रत्येक हिन्दू धर्मावलम्बी तथा रामभक्तों से सम्पर्क कर मंदिर निर्माण हेतु धनसंग्रह के पुनीत कार्य में लगने की अपील। गई।  मार्गदर्शक मण्डल पनसम्पूर्ण विश्व के रामभक्तों से आह्वान किया करता है कि मंदिर निर्माण हेतु उदारतापूर्वक दान करे।

दूसरे प्रस्ताव के अनुसार विगत कुछ वर्षों में भारत की केंद्रीय सत्ता में राष्ट्रीय हितों एवं भारतीय संस्कृति के प्रति सकारात्मक चिंतन एवं कार्य से युक्त सरकार के आने के बाद अनेक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण कार्य हुए हैं। जिसमें श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के मार्ग को प्रशस्त कर विगत पांच अगस्त, 2020 को भूमि-पूजन सम्पन्न करने के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर समेत देश के सभी प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों के विकास के लिए योजना तथा धन आबंटन जैसे प्रमुख कार्य और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 व 35 ए को समाप्त कर जीर्ण-शीर्ण तथा भग्न मंदिरों के जीर्णोद्धार की योजना बनाई।

नागरिकता संशोधन विधेयक द्वारा सम्पूर्ण विश्व में कहीं भी प्रताड़ित भारतीय मूल के सम्प्रदायों के लिए नागरिकता का मार्ग प्रशस्त किया। सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति के हितार्थ किए जा रहे कार्यों के प्रतिक्रिया स्वरूप राष्ट्र विरोधी तत्व भी बहुत तीव्रगति से सक्रिय हुए हैं। एक तरफ मजहबी आतंकवाद से प्रेरित लव जेहाद तो दूसरी तरफ ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित धर्मांतरण एवं शहरी नक्सलियों को राष्ट्रविरोधी अभियान तीव्र हुआ है।

विगत अप्रैल 2020 में पालघर (महाराष्ट्र) में पुलिस की उपस्थिति में दो संन्यासियों और उनके चालक की नृशंस हत्या को चर्च के राजनैतिक गठजोड़ का वीभत्स स्वरूप बताते हुए महाराष्ट्र सरकार द्वारा उस पर पर्दा डालने का प्रयास एवं जिन भी व्यक्ति अथवा संस्था ने आवाज उठाई, उसे निर्ममता से कुचलने का प्रयास करने का आरोप लगाया। 

लव जेहाद पर सख्‍त रुख

मंथन में यह निष्‍कर्ष निकला कि आज मजहबी आतंकवाद अनेक रूपों में देश में सक्रिय है। वर्तमान समय में लव जेहाद के रूप में हिन्दू बहन-बेटियों को झूठे प्रेमजाल में फंसाना ही नहीं अपितु बलात् अपहरण और हत्या की अनेक घटनाएं स्थान-स्थान पर सामने आ रही हैं। बल्लभगढ़ में धर्मांतरण कर विवाह नहीं करने की निकिता तोमर नामक बालिका की सरेआम सार्वजनिक स्थान पर हत्या की भर्त्‍सना की गई। हाथरस की घटना को जातीय स्वरूप प्रदान कर उत्तर प्रदेश को जातिय दंगों में झोंकने का असफल प्रयास करने का भी आरोप लगया गया। कहा कि हमारे हिन्दू समाज की बहन-बेटियों में कोई अंतर नहीं है। चाहे बल्लभगढ़ की हो या हाथरस की। नारी सम्मान हिन्दू समाज की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। इतिहास के दो बड़े युद्ध रामायण और महाभारत नारी सम्मान हेतु लड़े गए थे।

समारोह का वैदिक रीति रिवाजों से आगाज

दीप प्रज्वलन ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविचल दास जी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरि जी, महन्त फूलडोल बिहारीदास जी, स्वामी धर्मदेव जी, महन्त कमलनयन दास जी, महामंडलेश्वर अनन्तदेव गिरि जी, महन्त सुरेंद्रनाथ अवधूत जी, स्वामी देवेन्द्रानन्द गिरि जी, महामण्डलेश्वर जनार्दन हरि जी, स्वामी हंसानन्द तीर्थ जी, अखिल भारतीय संत समिति के संयुक्त महामंत्री महामण्डलेश्वर स्वामी मनमोहनदास जी (राधे-राधे बाबा), ब्रह्मर्षि अंजनेशानन्द सरस्वती जी, स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर ज्योतिर्मयानंद गिरि जी, महामंडलेश्वर ईश्वरदास जी, शक्ति शांतानंद महर्षि जी, महन्त गौरीशंकर दास जी, महन्त ईश्वर दास जी ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन सत्र का संचालन अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती जी ने किया। स्वागत वक्तव्य अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता पातालपुरी पीठाधीश्वर बालकदास जी महाराज जी ने प्रस्तुत किया। स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनील मिश्र जी व आयोजन समिति अध्यक्ष सुधीर सिंह के साथ अन्य सदस्यों बृजेश पाठक, गोविन्द शर्मा, मयंक कुमार, विद्यासागर उपाध्याय, मदनमोहन यादव, रवि झा द्वारा संतों का माल्यार्पण और अंगवस्त्रम देकर स्वागत किया गया।

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