वाराणसी में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के 'खेल' को हल्के में ले रहा नगर निगम-स्वास्थ्य विभाग

नगर निगम प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे 40 से अधिक फर्जी आइडी-पासवर्ड बन गए और उनसे अनगिनत फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणापत्र भी निर्गत हो गए। 24 घंटे बीतने के बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 06:17 PM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 06:17 PM (IST)
वाराणसी में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के 'खेल' को हल्के में ले रहा नगर निगम-स्वास्थ्य विभाग
फर्जी आइडी-पासवर्ड बन गए और उनसे अनगिनत फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणापत्र भी निर्गत हो गए।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नगर निगम प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे 40 से अधिक फर्जी आइडी-पासवर्ड बन गए और उनसे अनगिनत फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणापत्र भी निर्गत हो गए। 24 घंटे बीतने के बाद भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। अभी तक न तो नगर निगम और न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। हैरानी की आत ये है कि मामले की जांच के लिए कोई कमेटी भी गठित नहीं हुई।

जनपद में फर्जी आइडी-पासवर्ड के सहारे जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के बड़े खेल का विगत शुक्रवार को पर्दाफाश हुआ था। जालसाज इसके जरिए मोटी रकम लेकर लोगों को जन्म या मृत्यु के प्रमाणपत्र दिया करते थे।

स्वास्थ्य विभाग ने सब-रजिस्ट्रार के नाम पर बने 40 फर्जी आइडी-पासवर्ड को चिन्हित करते हुए निष्क्रिय कर दिया था। इसके चलते पांच घंटे तक पोर्टल बंद रहा, जिससे निगम में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र संबंधी कार्य बाधित रहा और लोगों को वापस लौटना पड़ा था। मामले में शनिवार को सीएमओ डा. वीबी सिंह की ओर से सभी चिकित्सा अधीक्षक जो पोर्टल पर सब-रजिस्ट्रार भी होते हैं, उन्हें चिट्ठी जारी की गई। तत्काल अपना आईडी-पासवर्ड बदलने व जिनके भी आइडी की डुप्लीकेसी हुई है उन्हें अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया।

कितने बने प्रमाणपत्र, पता लगाना मुश्किल : स्वास्थ्य विभाग के मुताबक फर्जी आइडी-पासवर्ड के सहारे कितने प्रमाणपत्र बनाए गए हैं, यह पता लगाना मुश्किल है। ऐसे मामले शिकायत मिलने या सत्यापन में ही पकड़ में आते हैं। आरोप सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति पर विधिक कार्यवाई भी होती है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस जालसाजी के सहारे 1000 से अधिक प्रमाणपत्र बनाए जा चुके हैं। जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनाने में साइबर अपराधी सक्रिय हैं। लाेगों से एक प्रमाणपत्र के एवज में 1500 से लेकर 3000 रुपये तक वसूले जाते हैं।

सभी अधीक्षकों को चिट्ठी लिख दी गई है। उन्हें अपना आइडी-पासवर्ड नए सिरे बनवाने और जिनके यहां के मामले हैं, उन्हें अविलंब प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।

- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।

स्वास्थ्य विभाग को सारी स्थतियों से अवगत कराया जा चुका है। सभी आइडी को निष्क्रिय कर दिया गया है। मामले में स्वस्थ्य विभाग की ओर से प्राथमिकी भी दर्ज हाेनी चाहिए।

- डा. एनपी सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी।

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