मां अब मुझे कौन संभालेगा, मुझे किसके भरोसे छोड़ के चली जा रही हो

एक 21 वर्ष की लड़की चीत्कारें मार रही थी। न उसके आगे कोई न पीछे। चीत्कार सुनकर घाट पर मौजूद सभी की आंखे तो कुछ देर के लिए गीली हो गईं। यह कहानी है जौनपुर के पिलकनी निवासी सोनम जायसवाल की।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:53 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:53 PM (IST)
मां अब मुझे कौन संभालेगा, मुझे किसके भरोसे छोड़ के चली जा रही हो
वाराणसी में अपनी मां की चिता पर लकड़ी सजाती 21 वर्षीय सोनम जायसवाल।

वाराणसी, जेएनएन। हरिश्चंद्र घाट पर रविवार दोपहर जिसके भी कानों में '... मां अब मुझे कौन संभालेगा, मुझे किसके भरोसे छोड़ के जा रही हो' यह आवाज गूंजी वह जहां था, वहीं स्तब्ध रह गया। एक 21 वर्ष की लड़की चीत्कारें मार रही थी। न उसके आगे कोई, न पीछे। चीत्कार सुनकर घाट पर मौजूद सभी की आंखे तो कुछ देर के लिए गीली हो गईं। यह कहानी है जौनपुर के पिलकनी निवासी सोनम जायसवाल की। गरीबी तो इन्होंने जन्म से देखी। माता-पिता का दुलार बस इनके जीवन में 21 वर्ष के लिए ही नसीब हुआ। ईश्वर ने कम उम्र में विपदा का यह कठिन भार जो दिया है सोनम को बड़ी ताकत से इसे अब सहना होगा।

डीआरडीओ की बदइंतजामी ने छीन लिया मां को

सोनम ने बताया कि 11 मई को मां कमला देवी को बुखार आना शुरू हुआ तो जौनपुर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। 15 मई की देर रात लगभग दो बजे उनकी तबियत बिगड़ी तो उनको जिला अस्पताल जौनपुर से बीएचयू अस्थायी कोविड अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। वहां जाने के लिए एक एम्बुलेंस दी गई। करीब भोर में चार बजे हम मां को लेकर बीएचयू पहुंचे। लगभग डेढ़ घण्टे बाद डीआरडीओ हेल्प डेस्क पर बताने और रेफेर लेटर दिखाने पर दो फार्मासिस्ट अंदर से आए कुछ कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उनको अंदर ले गए। उसके बाद न तो मेरी माताजी का कोई हाल बताया गया।

हेल्प डेस्क पर पूछने पर बार-बार कहा जा रहा था कि आपकी मां ठीक हैं। करीब 12 बजे एक डॉक्टर से निवेदन करने के बाद उन्होंने वीडियो कॉल पर मां से बात कराया। मां बोली कि बहुत प्यास लगी। पानी भेजवा दो। यहां कई बार पानी मांगी पर कोई नहीं दिया। फिर डॉक्टर बोले आपकी माता कमला देवी ठीक हैं। उस समय ऑक्सीजन लेवल 88 था। फिर अचानक दो बजे मोबाइल पर फोन आता है कि मैं डीआरडीओ अस्थायी कोविड अस्पताल से बोल रहा हूं। क्या मेरी बात सोनम जायसवाल से हो रही है। मैं बोली जी हां, उधर से कहा गया आपकी माता कमला देवी का इलाज के दौरान निधन हो गया है। उसके डेड बॉडी देने में 2 घण्टे लगा दिया गया।

अंतिम संस्कार के लिए चाचा को किया फोन, पर नहीं आए

मां के निधन के बाद जब सोनम ने अपने चाचा को फोन किया तो उन्होंने फोन उठाया सारी बात सुनी लेकिन वह घाट पर नहीं आए। बाद में मैंने अपनी बुआ के बेटे मनोज जायसवाल और मामा के बेटे आनंद जायसवाल को फोन किया। लगभग 3 घण्टे बाद दोनों जौनपुर से हरिश्चंद्र घाट पहुंचे।

अंतिम संस्कार के लिए घाट के चौधरी ने मांगे 10 हजार

अपनी पूरी व्यथा घाट के चौधरी को सुनाने के बाद भी सोनम पर किसी ने रहम नहीं किया। चौधरी ने कहा कि बहुत कम होगा तो 10 हजार लग जाएगा। समस्या तो कंधा देने की भी थी। सोनम के पास कुल जमा तीन ही लोग थे। इस पर सोनम जोर से चिल्लाई बोली हे ईश्वर! अभी कितनी और परीक्षा लेगा मेरी तू...।

पिता की हो चुकी है मौत

सोनम के पिता मंगल जायसवाल का गम्भीर बीमारी के कारण लगभग 18 वर्ष पहले निधन हो चुका है।

फरिश्ता बनकर आए अमन कबीर

घाट पर मौजूद एक शख्स ने पूरे माजरे को समझ समाजसेवी अमन कबीर को सूचित किया। वह थोड़े देर में घाट पर पहुंचे बच्ची को ढाढ़स बंधाते हुए शांत कराया। इसके बाद पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार का पूरा खर्च उठाया। घाट की क्रिया समाप्त होने के बाद उन्होंने सोनम और उसके भाइयों को जौनपुर तक भेजवाया भी।

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