पूर्वांचल में जश्ने ईद मीलादुन्नबी पर जगमगा रहे मस्जिद, जलसों में उलेमाओं की हो रही तकरीर
बारा गांव की मस्जिद व मदरसों के अलावा विभिन्न मोहल्लों को झालर व इस्लामी झंडों से सजाया गया है। शुक्रवार को आयोजित जलसे में उलेमाओं ने तकरीर में कहा सलाम उसको जिसने बेकसों की दस्तगीरी की और बादशाहों में फकीरी की।
गाजीपुर, जागरण संवाददाता। भदौरा क्षेत्र के मुस्लिम बहुल गांवों के अधिकांश मोहल्लों में ईद मीलादुन्नबी के मौके पर गत अठारह अक्टूबर से लगातार मीलाद की महफिलें शान - ओ - शौकत के साथ आयोजित की जा रही हैं। जिसमें उलेमाकराम की तकरीर हो रही है और शायर नबी की शान में नात शरीफ का नजराना पेश कर रहे हैं। बारा गांव की मस्जिद व मदरसों के अलावा विभिन्न मोहल्लों को झालर व इस्लामी झंडों से सजाया गया है। शुक्रवार को आयोजित जलसे में उलेमाओं ने तकरीर में कहा, सलाम उसको जिसने बेकसों की दस्तगीरी की और बादशाहों में फकीरी की।
जामा मस्जिद पूर्वी, हाजी साहब वाली मस्जिद,मझली पट्टी मस्जिद, मस्तानबाग आदि मस्जिदों में जलसे का आयोजन कर नात पढ़ी गई। शुक्रवार को जामा मस्जिद पूर्वी में आयोजित जलसे में मौलाना कलीमुद्दीन शम्सी ने तकरीर में बताया कि जब दुनिया में पाप बढ़ चुका था और अरब में लड़कियों के पैदा होते ही जिंदा दफना दिया जाता था। विधवाओं को सती कर दिया जाता था। यही नहीं गरीबों, यतीमों का माल लूट कर लोग खा जाया करते थे। उस वक्त बुराइयां हद से ज्यादा बढ़ चुकी थीं और न्याय समाप्त हो चुका था। ऐसे समय में 12 रबीउल अव्वल 570 ई को मक्का की धरती पर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम का जन्म हुआ।
मोहम्मद साहब ने चालीस साल की उम्र में ऐलान -ए- नबुअत किया। आपने बुराइयों को समाप्त किया और अच्छाइयों को फैला कर एक सभ्य समाज की स्थापना की। इसी खुशी में इस्लाम धर्म के मानने वाले जलसा के माध्यम से अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। नबी के आने से इंसानियत आजाद हो गई।
मेरे सरकार आ रहे : शायरों ने नात पढ़ते हुए कहा, मेरी नबी की शक्ल इतनी नूरानी है कि बिना देखे ही दुनिया दीवानी है, रहमत बरस रही है अनवार छा रहे हैं, पढ़ लो दरूद लोगों, सरकार आ रहे हैं। जिसे सुनने को अकीदतमंदों की भीड़ लगी रही। गांव के विभिन्न मस्जिद व मोहल्लों में लगातार बारह दिन तक जलसे का आयोजन किया जाता है। इसमें समाज से बुराइयां मिटाकर अच्छाइयां फैलाने का आह्वान किया जाता है।