वाराणसी में वरुणा और अस्सी में प्रदूषण पर नियंत्रण को गठित होगी निगरानी समिति, डीएम से एक हफ्ते में रिपोर्ट तलब

गंगा नदी की अविरलता को लेकर एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है। शुक्रवार को पांच जजों की पीठ ने बड़ा अंतरिम आदेश देते हुए वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों वरुणा व अस्सी में प्रदूषण और कब्जे पर नियंत्रण के लिए स्वतंत्र निगरानी समिति गठित करने का निर्देश दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 10:42 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 10:42 PM (IST)
वाराणसी में वरुणा और अस्सी में प्रदूषण पर नियंत्रण को गठित होगी निगरानी समिति, डीएम से एक हफ्ते में रिपोर्ट तलब
गंगा नदी की अविरलता व निर्मलता को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है।

वाराणसी, जेएनएन। गंगा नदी की अविरलता व निर्मलता को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। शुक्रवार को पांच जजों की पीठ ने बड़ा अंतरिम आदेश देते हुए वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों वरुणा व अस्सी में प्रदूषण और कब्जे पर नियंत्रण के लिए स्वतंत्र निगरानी समिति गठित करने का निर्देश दिया। साथ ही इन नदियों में गिर रहे मल-जल और अवैध कब्जे की स्थिति पर जिलाधिकारी से एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब की है। ट्रिब्युनल की पीठ ने यह आदेश शहर निवासी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सौरभ तिवारी की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के उपरांत दिया है।

अपने अंतरिम आदेश में न्यायाधिकरण ने आदेश दिया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन व जिलाधिकारी, वाराणसी की अगुवाई में स्वतंत्र निगरानी समिति का गठन किया जाय। यह समिति दो सप्ताह के अंदर अपना कार्य शुरु कर दे। समिति का काम वाराणसी में गंगा व उसकी सहायक नदियों वरुणा व अस्सी में गिर रहे मल-जल व उस पर हुए अवैध निर्माण पर निगरानी करना तथा उसे रोकना होगा। इस स्वतंत्र निगरानी समिति के तालमेल के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाने का आदेश दिया गया है। गठित कमेटी को अन्य नदी विशेषज्ञों की सहायता लेने का निर्देश दिया गया है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एडवोकेट सौरभ तिवारी आनलाइन अदालत से जुड़े रहे। उन्होंने बताया कि एनजीटी ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि वाराणसी में गंगा की पूर्णतया सफाई की तब तक कल्पना नहीं की जा सकती, जब तक उसकी सहायक नदी वरुणा व अस्सी को मल-जल से मुक्त नहीं किया जाएगा। न्यायाधिकरण ने अस्सी व वरुणा की नदी क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण को भी चिह्नित करने का आदेश दिया है।

एनजीटी ने पर्यावरण सुरक्षा केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाने को कहा है। फैसले में ललिता घाट के सामने गंगा की धारा में बन रहे प्लेटफार्म का भी जिक्र है।

समिति को पेश करनी होगी इन बिंदुओं पर रिपोर्ट

एनजीटी ने गठित स्वतंत्र निगरानी समिति को अस्सी व वरुणा की पानी की गुणवत्ता रिपोर्ट, मल-जल शोधन पर चल रहे कार्य का ब्यौरा, अस्सी-गंगा नदी व वरुणा-गंगा नदी के संगम के नीचे व ऊपरी भाग में पानी गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट तथा अस्सी-वरुणा नदी के अवैध निर्माण को चिह्नित कर समग्र रिपोर्ट राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से सुनवाई की अगली तिथि 4 अगस्त 2021 से पहले मांगी है।

आवश्यक हुआ तो मल-जल शोधन प्लांट में करना होगा संशोधन

एनजीटी ने वाराणसी में पूर्व सेचल रहे मल-जल शोधन प्लांट में आवश्यक होने पर संशोधन करने का भी निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने जताई उम्मीद

एनजीटी के इस अंतरिम फैसले पर याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई है की राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के हस्तक्षेप से वाराणसी में गंगा नदी की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित हो पाएगी।

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