पारंपरिक कारीगरी बचाने के लिए आधुनिक कौशल का सहारा, प्रशिक्षण संग आधुनिक तकनीक की मशीनें

समाज में जितनी तेजी से बदलाव हो रहा है उतनी ही तेजी से पारंपरिक कुटीर उद्योग भी लुप्त होते गए। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ई कुम्हार मोची मिलने मुश्किल हो गए हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 13 Jan 2020 07:10 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jan 2020 10:34 AM (IST)
पारंपरिक कारीगरी बचाने के लिए आधुनिक कौशल का सहारा, प्रशिक्षण संग आधुनिक तकनीक की मशीनें
पारंपरिक कारीगरी बचाने के लिए आधुनिक कौशल का सहारा, प्रशिक्षण संग आधुनिक तकनीक की मशीनें

मीरजापुर, जेएनएन। समाज में जितनी तेजी से बदलाव हो रहा है, उतनी ही तेजी से पारंपरिक कुटीर उद्योग भी लुप्त होते गए। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ई, कुम्हार, मोची मिलने मुश्किल हो गए हैं। इन पारंपरिक उद्योगों से किनारा कर रही युवा पीढ़ी को अब इन्हीं क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इन कार्यों में कौशल दक्षता की ट्रेनिंग के साथ ही आधुनिक टूल किट दिए जा रहे हैं।

जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र द्वारा पारंपरिक उद्योगों को पुर्नजीवित करने के उद्देश्य से विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें स्थानीय दस्तकारों, पारंपरिक कारीगरी जैसे दर्जी, नाई, कुम्हार, बढ़ई, लोहार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी बुनकर, सुनार व हलवाई छह दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही सभी प्रशिक्षित लोगों को आधुनिक टूल किट दिए जाएंगे जिससे वे अपना रोजगार स्वत: शुरु कर सकें। उपायुक्त उद्योग वीके चौधरी ने बताया कि जनपद में पारंपरिक कारीगरों को रोजगार देने का यह प्रयास काफी सफल रहा है और लोग इससे जुड़ रहे हैं।

खास योग्यता की जरुरत नहीं 

इस योजना का लाभ पाने के लिए किसी प्रकार शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के आवेदक केंद्र से संपर्क करके लाभ पा सकते हैं। पारंपरिक कारीगरी अपनाने वाले युवाओं के लिए छह दिवसीय नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें कारीगरी से जुड़ी सभी बारिकियां व तकनीक की व्यवहारिक जानकारी दी जाती है।

स्टार्टअप योजना का लाभ

पारंपरिक कारीगरी को बढ़ावा देने के साथ ही केंद्र द्वारा स्टार्टअप योजना भी चलाई जा रही है। इसके तहत स्थानीय पारिस्थियों के अनुसार नये विचारों वाले उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके लिए आनलाइन आवेदन किया जाता है। आवेदन के साथ कागजात अपलोड करने के बाद मान्यता नंबर जारी कर दिया जाता है। उपायुक्त उद्योग वीके चौधरी ने कहा कि पारंपरिक कारीगरी को सहेजन के अलावा युवाओं को वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से यह योजना लाई गई है। जनपद में इस योजना को अच्छा रिस्पांस मिलेगा।

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