मीरजापुर में पांच दिन बाद भी नहीं मिले लापता लोग, दो परिजनों ने उनका पुतला बनाकर किया दाह संस्कार

पांच दिन बाद भी गंगा में लापता हुए लोग नहीं मिले तो उनके परिवार के लोग तीनों महिलाओं का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। दीपक व राजेश तिवारी ने अपनी पत्नी अमीषा व खुशबू का पुतला बनाकर विंध्याचल के अखाड़ाघाट पर दाहसंस्कार कर दिया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 08:17 PM (IST) Updated:Sun, 12 Sep 2021 08:17 PM (IST)
मीरजापुर में पांच दिन बाद भी नहीं मिले लापता लोग, दो परिजनों ने उनका पुतला बनाकर किया दाह संस्कार
लापता हुए लोग नहीं मिले तो उनके परिवार के लोग पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया।

जागरण संवाददाता, मीरजापुर। पांच दिन बाद भी गंगा में लापता हुए लोग नहीं मिले तो उनके परिवार के लोग तीनों महिलाओं का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। दीपक व राजेश तिवारी ने अपनी पत्नी अमीषा व खुशबू का पुतला बनाकर विंध्याचल के अखाड़ाघाट पर दाहसंस्कार कर दिया। जबकि विकास ओझा गुड़िया के पुतले काे बिहार के बक्सर घाट पर अंतिम संस्कार करने की बात कहते हुए अपने परिवार के साथ चले गए। परिवार के लोगों ने कहा कि प्रशासन की लापरवाही से उनकी पत्नी और बच्चों का पता नहीं चल सका। वे तेरहवीं के बाद लौटकर आएंगे और प्रशासन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।

बताया कि आठ सितंबर को गुड़िया पत्नी विकास ओझा, अमीषा तिवारी पत्नी दीपक तिवारी व खुशबू पत्नी राजेश तिवारी समेत 12 लोग गंगा में सैर करने गए थे। लौटते समय नाव डूब गई थी। इसमें गुड़िया, अमीषा, खुशबू, सत्यम, शौर्य, व दीपक के ढाई माह का एक बेटा डूब गए। खोजबीन में दूसरे दिन केवल शाैर्य का शव नगर के फतहां घाट पर मिल पाया था, अन्य किसी का आजतक पता नहीं चल पाया। चार दिन तक परिजन डूबे लोगों के बरामद होने का इंतजार करते रहे, लेकिन टीम किसी को बरामद नहीं कर पाई। पांचवें दिन दीपक तिवारी ने अमीषा तथा राजेश ने खुशबू व विकास ओझा ने गुड़िया का पुतला बनाकर उनका अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। उनके निर्णय पर सभी ने सहमती जताई। दीपक व राजेश ने तो अखाड़ा घाट पर ही अंतिम संस्कार कर दिया। जबकि विकास ओझा पुतला लेकर बक्सर चले गए। जाते-जाते प्रशासन के खिलाफ मुख्यमंंत्री को एक पत्र भेजा। इसमें लिखा हैं कि यहां का प्रशासन बिल्कुल लापरवाह है। अधिकारी कोई काम के नहीं है। इनको फील्ड की बजाय दफ्तर का काम दे दीजिए। इससे अधिक ये कुछ नहीं कर सकते हैं। ऐसा नहीं करेंगे तो आने वाले समय में स्थिति और खराब होगी। जैसे उन लोगों की घटना होने पर हुई है।

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