BHU में माइक्रोबायोलॉजी लैब का 11 करोड़ रुपये बकाया, Covid-19 की RTPCR जांच बंद
एक ओर कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने खजाने का मुंह खोल कर इस महामारी से जूझने में खुद के सभी संसाधनों को लगा रखा है वहीं दूसरी ओर बीएचयू जैसे वैश्विक संस्थान में पैसे की कमी की वजह से आरटीपीसीआर जांच बंद कर दी गई है।
वाराणसी, जेएनएन। देश में एक ओर कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने खजाने का मुंह खोल कर इस महामारी से जूझने में खुद के सभी संसाधनों को लगा रखा है, वहीं दूसरी ओर बीएचयू जैसे वैश्विक संस्थान में पैसे की कमी की वजह से आरटीपीसीआर जांच बंद कर दी गई है। जी हां! यह सच कड़वा है लेकिन व्यवस्था को आइना दिखाने वाला है। एक ओर कोरोना की तीसरी संभावित लहर आने की चिंंता में सरकार टीकाकरण और जांच के साथ ही बेहतर इलाज की तैयारियों में जुटी है तो दूसरी ओर बीएचयू जैसा वैश्विक संस्थान आरटीपीसीआर जांच कर पाने में पैसे की कमी की वजह से अक्षम है।
पूरा मामला आईएमएस बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी लैब का है। जहां पर लगभग 11 करोड़ रुपये पूर्व में हुए जांच के बकाया होने की वजह से rt-pcr (आरटीपीसीआर) जांच बंद करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। इस बाबत विभाग में लंबे समय से बजट की डिमांड की जा रही थी। आईएमएस बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी लैब में पूर्वांचल के अन्य जिलों की रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर चेन रिएक्शन (rt-pcr) की जांच अब बंद करने की आधिकारिक जानकारी जारी की गई है। इस बाबत जांच के बकाया करीब 11 करोड रुपए ना मिलने की वजह से यह फैसला काफी विचार विमर्श के बाद विभाग की ओर से लिया गया है। हालांकि, लैब में दोबारा जांच कब शुरू होगी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। जबकि भर्ती मरीजों के लिए जांच की अतिरिक्त व्यवस्था जारी रहने की जानकारी लैब की ओर से दी गई है।
कोरोना संक्रमण के चरम के दौरान नियमित तौर पर हर दिन दस से बारह करोड़ सैंपल जांचे जाते थे। जांच के बाद इनकी रिपोर्ट माइक्रोबायोलॉजी लैब की ओर से वाराणसी सहित पूर्वांचल के संबंधित जिलों को दिए जा रहे थे। संक्रमण कम होने के बाद से ही जांच के लिए सैंपल की संख्या दिन प्रतिदिन कम भी होती जा रही है। बजट के अभाव में जांच पर संकट गहराने के बाद प्रभारी ने आईएमएस निदेशक, कुलपति समेत अन्य अधिकारियों को इस बात की जानकारी देने के साथ बजट उपलब्ध कराने की मांग रखी है।
अधिकारियों ने लिया फैसला : आईएमएस निदेशक प्रोफेसर बीएलबीआर मित्तल की अध्यक्षता में बैठक के बाद लैब में वाराणसी और आसपास के जिलों की आरटीपीसीआर जांच न करने का निर्णय लिया है। अब बकाया राशि मिलने के बाद ही लैब में दोबारा जांच शुरू हो सकेगी। वहीं दूसरी ओर बीएचयू की ओर से इस बाबत जारी आदेश में केवल सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती मरीजों की ही आरटीपीसीआर जांच कराने को अनुमति दी गई है। आई एम एस निदेशक प्रोफेसर बीएलबीआर मित्तल की अध्यक्षता में बैठक के बाद लैब में वाराणसी और आसपास के जिलों की जांच ना करने का निर्णय लिया है। आइएमएस निदेशक प्रोफेसर बी आर मित्तल ने बताया कि rt-pcr जांच के मद में काफी प्रयास के बाद भी बकाया नहीं मिल सका है। इसकी कुलपति को भी जानकारी देने के साथ आधिकारिक पत्र भी लिखा गया है। बजट जारी होने के बाद उम्मीद जताई गई है कि जल्द ही व्यवस्था शुरू हो जाएगी।