वाराणसी में मरीजों की सेवा के स्थान पर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहे मेडिकल के छात्र

कानूनी-दांव पेच में फंसे मेडिकल के छात्र कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं। मान्यता के फेर में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध तीन मेडिकल कालेजों के बीएएमएस (सत्र-2018-19) बैच छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 03:50 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 03:50 PM (IST)
वाराणसी में मरीजों की सेवा के स्थान पर कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगा रहे मेडिकल के छात्र
कानूनी-दांव पेच में फंसे मेडिकल के छात्र कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मेडिकल के छात्रों के हाथों में जांच रिपोर्ट व गले में जहां स्टेथसकोप (आला) होना चाहिए। वहीं कानूनी-दांव पेच में फंसे मेडिकल के छात्र कोर्ट कचहरी का चक्कर लगा रहे हैं। मान्यता के फेर में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध तीन मेडिकल कालेजों के बीएएमएस (सत्र-2018-19) बैच छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

मान्यता के अभाव में विद्यापीठ प्रशासन इन कालेजों के छात्रों की परीक्षा अब तक नहीं कराई है। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन अन्य कालेजों के छात्रों की परीक्षाएं कराने की तैयारी में जुटा हुआ है। इसे लेकर तीनों  मेडिकल कालेजों के छात्रों में रोष है। छात्रों ने एक बार फिर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

डा. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (कैथी), संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) व अपेक्स आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) के छात्रों का कहना है कि सत्र-2018-19 में हम लोगों का बीएएमएस कोर्स में नीट के माध्यम से दाखिला हुआ था। काउंसिलिंग कराने के लिए उप्र आयुष का एलाटमेंट लेटर भी हमारे पास मौजूद हैं। यदि मान्यता नहीं थी तो उप्र आयुष ने दाखिले की अनुमति क्याें दी गई। कहा कि देश के अन्य मेडिकल कालेजों में हमारे बैच के दूसरे व्यवसायिक की भी परीक्षा हो गई है। वहीं तीन साल में हमलोग जहां से चले थे। वहीं आज भी खड़े हैं।

विद्यापीठ तीन मेडिकल कालेजों को छोड़कर अन्य मेडिकिल कालेजों के परीक्षाएं करा रही है। विद्यार्थियों का कहना है कि परीक्षा कराने की मांग को लेकर हम लोग कालेज प्रबंधन से लगायत काशी विद्यापीठ के कुलपति व कुलसचिव, डीएम तक से गुहार लगा चुके हैं। सिर्फ कोरा आश्वासन मिल रहा है। कहा कि परीक्षा होगी या नहीं यह भी कोई बताने वाला नहीं है। इसे लेकर तीनों कालेजों के छात्र एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा बनाने में जुटे हुए हैं। बहरहाल भविष्य कानूनी दांव-पेच में तीन सौ मेडिकल छात्रों फंसा हुआ है।  

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