पीपीसी बंडल से रूकेगा मातृत्व मृत्यु दर, उत्तर प्रदेश टेक्‍निकल सपोर्ट यूनिट के तहत ट्रेंड होंगे चिकित्सक

विशेषज्ञों को व प्रदेश चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी मिली है। यह प्रयोग शुरू होने के बाद किसी भी हालात निपटने के लिए चिकित्‍सक दक्ष हो जाएंगे और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में यह प्रशिक्षण एक नजीर भी साबित होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 10:35 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 10:35 AM (IST)
पीपीसी बंडल से रूकेगा मातृत्व मृत्यु दर, उत्तर प्रदेश टेक्‍निकल सपोर्ट यूनिट के तहत ट्रेंड होंगे चिकित्सक
यूपीटीएसयू (उत्तर प्रदेश टेक्टनिकल सपोर्ट यूनिट) के तहत चिकित्सक व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया जाएगा।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। डिलिवरी के बाद अत्यधिक रक्तस्राव, पोस्ट मार्टम हैमरेज की समस्या अधिक पाई जा रही है। पीपीएच के मामले हर 100 में से चार महिलाओं में पाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में अगर समय पर माकूल उपचार नहीं मिलता है तो स्थिति बहुत ही गंभीर हो जाती है। इसी स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञों को व प्रदेश चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी मिली है। यह प्रयोग शुरू होने के बाद किसी भी हालात निपटने के लिए चिकित्‍सक दक्ष हो जाएंगे और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में यह प्रशिक्षण एक नजीर भी साबित होगा। 

प्रदेश सरकार की योजना यूपीटीएसयू (उत्तर प्रदेश टेक्टनिकल सपोर्ट यूनिट) के तहत चिकित्सक व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया जाएगा। ताकि मातृत्व मृत्यु दर को हरहाल में रोका जा सके। इसके लिए पीपीसी (पेशेंट प्रायटी केयर) बंडल पर जोर दिया जाएगा। इस योजना के तहत डाक्टर के साथ ही नर्सिंग व पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग देने की योजना बनाई गई है। इसके अलावा बुजुर्ग मरीजों की देखभाल एवं उनके बेहतर उपचार के लिए विशेषज्ञ प्रदेश के डाक्टरों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। एक-एक हजार का बैच बनाकर चिकित्सकों को प्रशिक्षण देंगे। इसकी सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

बताया जा रहा है प्रदेश सरकार की ओर से सभी जिलों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना की जा रही है। इसी कड़ी में यह ट्रेनिंग भी शामिल है। कोर एरिया आयुष्मान योजना के तहत एल्डलरी एंड पालिएटिव केयर का काशी में सेंटर बनाया गया है। पहले बचै में एन एमडी डाक्टरों को ट्रेनिंग दी गई जो जिला मुख्यालय पर तैनात है। आगे चलकर दो हजार डाक्टरों को ट्रेनिंग दी जानी है। जल्द ही इसके लिए शेड्यूल भी जारी हो जाएगा। दरअसल, बुजुर्गों के मामले में चिकित्सा समन्वित विशेषज्ञता मांगती है। इस लिहाज से चिकित्सकों को दक्ष बनाया जाएगा। उद्देश्य यह कि उन्हें चिकित्सा तो मिले ही मानसिक संबल भी दिया जा सके।

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