शमन के नक्शे वाराणसी विकास प्राधिकरण में नहीं जमा हो रहे, शासन की नई गाइड लाइन का इंतजार
शासन ने नई शमन नीति-2020 को भंग करते हुए पुरानी शमन नीति-2010 को बहाल कर दिया है लेकिन नक्शे वीडीए में नहीं जमा हो रहे हैं जिससे जनता मारे-मारे फिर रही है। आनलाइन जमा करना है या आफ लाइन इसको लेकर शासन की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। शासन ने नई शमन नीति-2020 को भंग करते हुए पुरानी शमन नीति-2010 को बहाल कर दिया है लेकिन अब भी शमन के नक्शे वीडीए में नहीं जमा हो रहे हैं जिससे जनता मारे-मारे फिर रही है। शासनदेश के बावजूद शमन मानचित्र नहीं जमा कराने के पीछे मुख्य वजह सीटीसीपी (चीफ टाउन एंड कंट्री प्लानर) का वह निर्देश बताया जा रहा है जिसमें उन्होंने अब इसे आनलाइन करने का निर्देश दिया है। उधर, आनलाइन शमन नक्शों को करने की बात तो की गई है लेकिन जो नक्शा पास करने का ओबीपास पोर्टल है उसमें इसका कोई विकल्प नहीं दिया गया है जिससे आर्किटेक्ट भी परेशान हैं और रोजाना विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
23 को जारी हुआ है शासनादेश
उत्तर प्रदेश शासन के आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग ने गत 23 फरवरी को शासनादेश जारी किया। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार की ओर से जारी इस शासनादेश के अनुसार शमन उपविधि-2010 के प्रावधानों को पूरी तरह से लागू करने का निर्देश जारी हुआ है लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिलने से शमन के मानचित्र नहीं जमा हो रहे हैं। वीडीए के सूत्र बताते हैं कि सीटीसीपी अनूप कुमार श्रीवास्तव ने सभी मानचित्र प्रभारियों को शमन मानचित्र को भी आनलाइन करने का निर्देश जारी किया है लेकिन पोर्टल पर उसका विकल्प व कॉलम नहीं होने से नक्शे जमा नहीं हो रहे हैं। उधर, नई शमन नीति-2020 के तहत वीडीए में जमा कराए गए 110 नक्शों के निस्तारण की भी समस्या सामने आई है। इसके निस्तारण की अभी तक कोई गाइड लाइन शासन ने नहीं जारी की है जिससे पब्लिक अधर में लटकी है।
शमन मानचित्र को आनलाइन करने में है कई पेंच
उधर, शमन मानचित्रों को आॅनलाईन करने में कई तरह के पेंच सामने आ रहे हैं। सबसे बड़ा पेंच विभिन्न महायोजनाओं में पास कराये गए नक्शों को वर्तमान परिदृष्य व नियमों के अनुसार स्थापित करने को लेकर है। वहीं अलग-अलग महायोजनाओं में रोड की अलग-अलग चौड़ाई प्रस्तावित है। अगर उस चौड़ाई को वर्तमान नियमों के अनुसार आॅनलाईन किया जाता है तो बिल्डिंग का अधिकांश हिस्सा सड़क में चला जाएगा। गलियों के इस शहर में कहीं-कहीं ऐसा भी हो सकता है जहां पूरी बिल्डिंग ही मास्टर प्लान-2031 में दर्शाये गए रोड का हिस्सा हो जाए। इसके अलावा भू-प्रयोग में भी बदलाव हुआ है। 1991, 2011 व 2031 की महायोजना में भू-प्रयोग की स्थिति बदली है। जहां पहले भू-प्रयोग आवासीय था वहां अब बदले परिवेश व जरूरत के हिसाब से कामर्शियल व बाजार स्ट्रीट हो गया है। वहीं जहां रोड की चौड़ाई 18 मीटर थी अब 24 मीटर हो गई है।
सर्किल रेट से लिंक होता है शमन मानचित्र
जिस भी भवन का शमन कराया जाता है वह सर्किल रेट के आधार पर किया जाता है। उसी आधार पर उसके पैसे का भी निर्धारण किया जाता है। अलग-अलग मौजा में डीएम सर्किल रेट के आधार पर उसका शुल्क निर्धारण किया जाता है। अगर इस व्यवस्था को आफ लाइन किया जाता है तो यूपी के सभी मौजा का सर्किल रेट भी आफ लाइन करना होगा। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति पहले मंजिल का नक्शा पास करा लिया और दूसरे का शमन कराता है तो उसे जो नक्शा पास करने का आफ लाइन पोर्टल है उसमें पहले से पास कराये गए नक्शों को अपलोड करते हुए उसको प्री-डीसीआर में बदलना होगा।
शासन की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं
शमन के नक्शों को आनलाइन जमा करना है या आफ लाइन इसको लेकर शासन की गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं। जैसे ही स्पष्ट गाइडलाइन आएगी नक्शों को जमा कराने का काम शुरू कराया जाएगा।
- वीडीए, वीसी, ईशा दुहन