मंडुआडीह रेलवे स्टेशन के बनारस बनने की ख्वाहिश अब भी अधूरी, केंद्र सरकार ने की थी नाम बदलने की घोषणा
डीएलडब्ल्यू (डीजल रेल इंजन कारखाना) की पहचान अब बीएलडब्लू (बनारस रेलवे इंजन कारखाना) के रूप में होने लगी है। मगर केंद्र सरकार की ओर से 13 सितंबर 2020 को हुई घोषणा के बावजूद मंडुआडीह स्टेशन नई पहचान बनारस को तरस रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। डीएलडब्ल्यू (डीजल रेल इंजन कारखाना) की पहचान अब बीएलडब्लू (बनारस रेलवे इंजन कारखाना) के रूप में होने लगी है। मगर केंद्र सरकार की ओर से 13 सितंबर 2020 को हुई घोषणा के बावजूद मंडुआडीह स्टेशन नई पहचान बनारस को तरस रहा है।
नाम को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने के चलते यात्री और सैलानियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नगरी काशी में मंडुआडीह रेलवे स्टेशन के नाम से अमूमन अन्य प्रांत के लोग अनजान ही थे। आनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में भी उन्हें दिक्कत होती थी। मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग समय-समय पर उठाई जाती रही थी, लेकिन इसे मूर्तरूप देने का काम पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने किया। वर्ष 2014-15 में उन्होंने रोहनिया स्थित ऐढ़े गांव में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया। मनोज सिन्हा ने इस दिशा में मंत्रालय की स्वीकृति प्रदान करने के बाद राज्य व केंद्र सरकार को फाइल बढ़ाया था। वहीं कैस बनारसी फाउंडेशन और जनजागृति समिति ने भी नाम बदलने की वकालत की थी। कैस बनारसी फाउंडेशन के सदस्य डा. रत्नेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक यह जरूरी और पर्यटन के नजरिए से महत्वपूर्ण था।
बनारस स्टेशन का बोर्ड लगते ही इंटरनेट मीडिया में हुआ था वायरल
मंडुआडीह स्टेशन पर जब बनारस का बोर्ड लगा था तो कईयों ने खूब सेल्फी ली। सरकार की पहल का जोरदार स्वागत किया। देखते ही देखते यह इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ। मगर कुछ ही दिनों में बनारस से मंडुआडीह हो जाने पर लोगों में मायूसी छा गई।
एयरपोर्ट की तर्ज पर सुविधाएं
मंडुआडीह स्टेशन पर यात्री सुविधाएं एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित हुई हैं। इस टर्मिनल स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विशाल प्रतीक्षालय क्षेत्र, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग रूम, एसी लाउंज आदि सुविधाएं हैं। द्वितीय प्रवेश द्वार पर नयनाभिराम दृश्य यात्रियों को आकर्षित करता है। यहां सर्कुलेटिंग एरिया में हरा-भरा पार्क, फाउंटेन और विशाल प्रवेश द्वार खुद को एयरपोर्ट में होने का अहसास कराता है। सामान्य दिनों में यहां से 22 ट्रेनें विभिन्न रूटों के लिए प्रस्थान होती है। प्रतिदिन यहां 14 हजार यात्रियों का दबाव रहता है।