Makar Sankranti 2021 : मकर राशि में बनेगा पंचग्रही योग, तिल के दान से कटेगा संकट

संपूर्ण भारतवर्ष में मकर संक्रांति का पर्व अपनी- अपनी रीति रिवाज के अनुसार हर्ष और उमंग व उल्लास के साथ मनाने की पौराणिक व धार्मिक मान्यता रही है। भगवान सूर्य की आराधना का विशेष पर्व मकर संक्रांति जम्मू कश्मीर में पंजाब में लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 10:25 AM (IST) Updated:Mon, 11 Jan 2021 10:25 AM (IST)
Makar Sankranti 2021 : मकर राशि में बनेगा पंचग्रही योग, तिल के दान से कटेगा संकट
मकर संक्रांति 14 जनवरी गुरुवार को इस बार पड़ रही है।

वाराणसी, जेएनएन। मकर संक्रांति 14 जनवरी गुरुवार को इस बार पड़ रही है। भगवान सूर्य की आराधना के पर्व मकर संक्रांति पर सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पंच ग्रही योग बनने के साथ ही खरमास का भी समापन हो जाएगा। 

संपूर्ण भारतवर्ष में मकर संक्रांति का पर्व अपनी- अपनी रीति रिवाज के अनुसार हर्ष और उमंग व उल्लास के साथ मनाने की पौराणिक व धार्मिक मान्यता रही है। भगवान सूर्य की आराधना का विशेष पर्व मकर संक्रांति जम्मू कश्मीर में पंजाब में लोहड़ी के नाम से जाना जाता है। दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से विख्यात है। सूर्य ग्रह का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होने पर यह पर्व मनाया जाता है। ज्‍याेषाचार्य विमल जैन के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति के पर्व पर खरमास की समाप्ति मानी जाती है। उत्तरायण की छह माह की अवधि उत्तम फलदाई मानी गई है।

मकर संक्रांति के दिन तिल से बने पकवान ग्रहण करना शुभ फलदाई माना गया है। इस दिन खिचड़ी पर्व मनाया जाता है जिसके फलस्वरूप चावल एवं काले उड़द के दाल से बनी खिचड़ी खाने व दान देने का विशेष विधान माना गया है। इसी दिन से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आने शुरू हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप रात्रि छोटे और दिन बड़े होने लगते हैं। मौसम में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है।

इस बार सूर्य ग्रह धनु राशि से 14 जनवरी गुरुवार को सुबह 8:15 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने पर संक्रांति होती है। मकर संक्रांति के पर्व पर प्रयाग में संगम स्नान का बड़ा महत्व है। 14 जनवरी गुरुवार को गंगा स्नान के पश्चात अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन प्रात: काल तिल का तेल लगाकर तेल जल से स्नान करना विशेष फलदाई माना गया है। तिल का उपयोग करने पर समस्त पापों का शमन होता है। मकर संक्रांति के दिन किए गए दान से पुनर्जन्म होने पर उसका 100 गुना फल प्राप्त होता है।

पूजा का विधान : ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार मकर संक्रांति के दिन तिल गुड़ से बने व्यंजन मिष्ठान्न एवं अन्य वस्तुएं दान करना चाहिए। दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन भगवान शिव के मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाना सुख समृद्धि कारक माना गया है। शिवजी का अभिषेक करना पुण्‍‍‍य फलदायी माना गया है। आज के दिन भगवान भाष्‍कर को अष्टदल कमल पर आवाहन करके उनकी विधान पूर्वक पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि और खुशहाली मिलती है भगवान सूर्य देव की महिमा में श्री आदित्य हृदय स्त्रोत श्री आदित्य कवच सहस्त्रनाम, श्री सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। सूर्य ग्रह से संबंधित मंत्र - 'ऊं सूर्याय नमः, ओम घृणि सूर्याय नमः' का जप करना विशेष लाभकारी रहता है।

पौराणिक मान्यता : यशोदा ने इसी दिन श्री कृष्ण के जन्म के लिए व्रत रखा था। उसी दिन से मकर संक्रांति के व्रत की परंपरा शुरू हुई। पुराणों के अनुसार सूर्य के मकर राशि में होने पर व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा मोक्ष को प्राप्त होती है। आत्मा को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। महाभारत काल में अर्जुन के बाणों से घायल पितामह ने गंगा तट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का 26 दिनों तक इंतजार किया था। इच्छा मृत्यु का वरदान मिलने के कारण मोक्ष की प्राप्ति के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक वह जीवित रहे।

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