महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बगैर मान्यता के बीएएमएस में दाखिला के बाद परीक्षा पर ग्रहण

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध तीन मेडिकल कालेजों के बीएएमएस (सत्र-2018-19) बैच के छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। डा. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (कैथी) के छात्रों का दावा है कि कोर्ट ने परीक्षा कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 11:59 AM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 11:59 AM (IST)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बगैर मान्यता के बीएएमएस में दाखिला के बाद परीक्षा पर ग्रहण
तीन मेडिकल कालेजों के बीएएमएस (सत्र-2018-19) बैच के छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

वाराणसी, जेएनएन। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से संबद्ध तीन मेडिकल कालेजों के बीएएमएस (सत्र-2018-19) बैच के छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। डा. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (कैथी) के छात्रों का दावा है कि कोर्ट ने परीक्षा कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बावजूद विद्यापीठ परीक्षा कराने में हीलाहवाली कर रहा है। वहीं विद्यापीठ प्रशासन का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर विधि परामर्श लिया जा रहा है। ऐसे में डा. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (कैथी) के छात्रों को अब परीक्षा की आस जग गई है। वहीं संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) व अपेक्स आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) की के छात्रों की परीक्षाएं फिलहाल होने की उम्मीद नहीं है।

डा. विजय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (कैथी), संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) व अपेक्स आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज (चुनार) के छात्रों का दावा है कि सत्र-2018-19 में हम लोगों का बीएएमएस कोर्स में नीट के माध्यम से दाखिला हुआ था। काउंसिलिंग कराने के लिए उप्र आयुष का एलाटमेंट लेटर भी हमारे पास मौजूद हैं। यदि मान्यता नहीं थी तो उप्र आयुष ने दाखिले की अनुमति क्याें दी गई। कहा कि देश के अन्य मेडिकल कालेजों में हमारे बैच के दूसरे व्यवसायिक की भी परीक्षा हो गई है। वहीं दो साल में हमलोग जहां से चले थे। वहीं आज भी खड़े हैं। विद्यापीठ तीन मेडिकल कालेजों को छोड़कर अन्य मेडिकिल कालेजों के प्रथम व्यवसायिक की परीक्षा करा चुका है। वहीं मान्यता न होने के कारण हम लोगाें की परीक्षा कराने में असमर्थता जता दी है। इसके लिए हम लोग गत दिनों विद्यापीठ के कुलपति व कुलसचिव से लगायत डीएम तक से गुहार लगाने गए थे। हालत यह है कि विद्यापीठ में कोई पत्रक लेने वाला तक नहीं था। वहीं डीएम हम लोगों से मिलना तक उचित नहीं समझे। वहीं कालेज प्रबंधन भी इंतजार करने का सिर्फ कोरा आश्वासन दे रहा है।

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