महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह : बापू ने काशी में स्थापित की थी देश की दूसरी शिक्षा पीठ

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 (वसंत पंचमी) को हुई थी। महात्मा गांधी का मानना था कि सरकारी अनुदान से चलने वाली शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता है। 125 विद्यार्थी भी विद्यापीठ पढऩे चले आए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 08:10 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 09:15 AM (IST)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ शताब्दी समारोह : बापू ने काशी में स्थापित की थी देश की दूसरी शिक्षा पीठ
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 (वसंत पंचमी) को हुई थी।

वाराणसी, जेएनएन। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की स्थापना 10 फरवरी 1921 (वसंत पंचमी) को हुई थी। महात्मा गांधी का मानना था कि सरकारी अनुदान से चलने वाली शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण नहीं हो सकता है। कुछ इसी सोच के साथ विश्वविद्यालयों के समकक्ष सर्वप्रथम गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की गई तो दूसरी शिक्षा पीठ काशी में स्थापित हुई। इसकी आधारशिला बापू ने स्वयं रखी तो नाम दिया काशी विद्यापीठ। समारोह में पं. मोतीलाल नेहरू, मौलाना मोहम्मद अली, सेठ जमनालाल बजाज, मौलाना अब्दुल कमाल आजाद, पं. जवाहर लाल नेहरू सहित विभूतियां शामिल हुई थीं। इसे संचालित करने के लिए बाबू शिवप्रसाद गुप्त ने दस लाख रुपये से शिक्षा निधि के नाम से एक ट्रस्ट बनाया।  असहयोग आंदोलन की वैचारिक संस्था असहयोग आंदोलन के दौरान अनेक अध्यापक व छात्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय छोड़कर काशी विद्यापीठ से जुड़े। अध्यापक जेबी कृपलानी के साथ करीब 125 विद्यार्थी भी विद्यापीठ पढऩे चले आए। विद्यार्थियों में आचार्य बीरबल भी शामिल रहे। वकालत छोड़कर आचार्य नरेंद्रदेव व पं. यज्ञनारायण उपाध्याय,  राजकुमार विद्यालय (अजमेर) छोड़कर संपूर्णानंद सहित तमाम लोग आए। वहीं भगवान दास भी डिप्टी कलेक्टरी छोड़कर काशी विद्यापीठ से जुड़ गए। इस प्रकार काशी विद्यापीठ असहयोग आंदोलन की मुख्य वैचारिक संस्था बनी।  

1963 में मिला डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा

काशी विद्यापीठ को वर्ष 1963 में डीम्ड व वर्ष 1974 में राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। बापू के 125वीं जयंती वर्ष में 11 जुलाई 1995 को इसके नाम के आगे महात्मा गांधी जोड़ दिया गया।बलिया में विश्वविद्यालय स्थापित होने के बाद अब इसके क्षेत्राधिकार में वाराणसी-चंदौली के साथ मीरजापुर, भदोही व सोनभद्र है।

शतायु की ओर विद्यापीठ

विद्यापीठ का शताब्दी समारोह दस से 16 फरवरी (वसंत पंचमी) तक मनाया जाएगा। इसमें देश भर से पूर्व छात्रों की जुटान होगी।

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