Mahant Narendra Giri : जब अचानक बुलावे पर पूर्व निर्धारित दौरे रद कर वाराणसी धर्मसंघ चले आए नरेंद्र गिरि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का जाना बनारस को भी खल रहा है। अक्सर उनसे मिलने-जुलने वाले संत-महंत संतापग्रस्त हैं। हर वह शख्स जो उनसे कभी भी मिला मुरीद हुए बिना न रहा। संपूर्ण धर्मसंघ परिवार उनके शिव सायुज्य प्राप्त करने की कामना करता है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का जाना बनारस को भी खल रहा है। अक्सर उनसे मिलने-जुलने वाले संत-महंत संतापग्रस्त हैं। हर वह शख्स जो उनसे कभी भी मिला, मुरीद हुए बिना न रहा। यही कोई तीन साल हुए होंगे जब सरल-सहज, उदारमना और विराट व्यक्तित्व के धनी नरेंद्र गिरि धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज की तपस्थली में उनके प्राकट्योत्सव में मंचासीन थे।
मधुमेह से पीडि़त होने के बावजूद लगभग पांच घंटे तक चले कार्यक्रम में वह पूरे समय मंच पर विराजमान रहे। काफी देर तक काशी के विद्वानों व प्रबुद्धजनों के व्याख्यान के बाद जब उनका मुख्य वक्तव्य हुआ तो इसके बाद वह कार्यक्रम समाप्त समझ मंच से उतर गए। तभी उन्हेंं बताया गया कि अभी धर्मसंघ पीठाधीश्वर का अध्यक्षीय संबोधन शेष है तो वे बिना असहज हुए वापस मंच पर जाकर विराजमान हुए और उसी सरल भाव से अपनी त्रुटि स्वीकार करते हुए आयोजन के अंत तक विराजित रहे।
इससे पहले की कहानी उनके विराट व्यक्तित्व का आईना कही जा सकती है। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी बताते हैैं कि 2018 में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज के 111वें प्राकट्योत्सव पर वे धर्मसंघ पहली बार पधारे थे। उन्हेंं धर्मसंघ आने का आमंत्रण भी पहले से नहीं दिया जा सका था। अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हेंं आमंत्रित किया गया तो उन्होंने सहर्ष आमंत्रण स्वीकार कर लिया। हरिद्वार का प्रवास यह कहकर निरस्त कर दिया कि अब उन्हेंं काशी जाना है। उन्होंने कहा कि यह परम सौभाग्य की बात है कि धर्मसंघ जाने का आमंत्रण प्राप्त हुआ। उन्होंने इसे अपने वक्तव्य में मंच से भी दोहराया कि वे धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी की तपस्थली को करीब से जानना चाहते थे। समझना चाहते थे कि उनकी वह भूमि कैसी होगी जहां से समूचे भारत में सनातन धर्म की ध्वजा लहराई। इसलिए सारे कार्यक्रम रद कर यहां आया हूं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के निधन से धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी मर्माहत नजर आए। उन्होंने कहा कि ऐसे विराट और उदारमना संत का असामयिक निधन धर्मसंघ के लिए व्यक्तिगत क्षति है, जिसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकेगी। संपूर्ण धर्मसंघ परिवार उनके शिव सायुज्य प्राप्त करने की कामना करता है।