शारदीय नवरात्र 2021 : रवियोग में किया जा रहा है महानवमी पूजन, कन्या पूजन कर मांगी मंगलकामना
कन्याओं के आगमन के बाद सबसे पहले उनका पांव पखारकर उनको महावर लगाया गया। उसके बाद उन्हें देवीरूप मानकर गन्ध-पुष्पादि से अर्चन कर आदर सत्कार के साथ उनको घर में बैठाया गया। उसके बाद हलवा पूड़ी फल मिठाई खिलाया गया।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि पर सुबह से ही हवन-पूजन का कार्यक्रम जारी है। हवन पूजन के बाद कन्या-भैरव पूजन किया जा रहा है। लोगों ने कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को अपने घर आने का आमंत्रण दिया था। कन्याओं के आगमन के बाद सबसे पहले उनका पांव पखारकर उनको महावर लगाया गया। उसके बाद उन्हें देवीरूप मानकर गन्ध-पुष्पादि से अर्चन कर आदर सत्कार के साथ उनको घर में बैठाया गया। उसके बाद हलवा, पूड़ी, फल, मिठाई खिलाया गया। उसके बाद उनको वस्त्र और अन्य द्रव्य दक्षिणा देकर से सत्कृत किया गया।
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की, दो क की पूजासे भोग और मोक्षकी, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ, काम-त्रिवर्ग की, चारकी अर्चना से राज्यपद की, पाँच की पूजा से विद्या की, छ:की पूजा से षट्कर्मसिद्धि की, सात की पूजा से राज्य की, आठ की अर्चना से सम्पदा की और नौ कुमारी कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। कुमारी-पूजन में दस वर्षतक की कन्याओं का अर्चन विहित है। दस वर्ष से ऊपर की आयुवाली कन्या का कुमारी पूजन में वर्जन किया गया है। दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्तिनी, चार वर्ष की कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी, छ:वर्ष की काली, सात वर्षकी चण्डिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्षवाली सुभद्रा-स्वरूपा होती है।
महानवमी पर मां देती हैं सभी सिद्धियां : नवरात्रि के आखिरी दिन यानी महानवमी को समस्त सिद्धि प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। अष्टमी तिथि की तरह ही नवरात्रि में नवमी तिथि का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कन्याओं और एक बालक को भी आमंत्रित कर बटुक भैरव का स्वरूप अपने घर आमंत्रित करके पूजन किया जाना चाहिए। साथ ही अगर देवी सरस्वती की स्थापना की हो तो उनका विसर्जन नवमी को किया जा सकता है। ये मन्वादि तिथि होने से इस दिन श्राद्ध का भी विधान है। इस तिथि पर सुबह जल्दी स्नान कर के दिनभर श्रद्धानुसार दान करने की परंपरा है। नवरात्र व्रत का पारण शु्क्रवार 15 अक्टूबर को प्रात: 6:16 के बाद किया जाएगा।