वाराणसी सहित 44 जनपदों में मदरसा आरटीई के दायरे के बाहर, शामिल करने का अनुरोध
सूबे के 31 जिलों में राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी मदरसों में भी बच्चों का मुफ्त दाखिला हो रहा है। वहीं वाराणसी सहित 44 जनपदों में मदरसा आरटीई के दायरे के बाहर है। इन जनपदों के मदरसों में आरटीई के तहत पंजीकृत बच्चों की संख्या ‘शून्य’ है।
वाराणसी, जेएनएन। सूबे के 31 जिलों में राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी मदरसों में भी बच्चों का मुफ्त दाखिला हो रहा है। वहीं वाराणसी सहित 44 जनपदों में मदरसा आरटीई के दायरे के बाहर है। इन जनपदों के मदरसों में आरटीई के तहत पंजीकृत बच्चों की संख्या ‘शून्य’ है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग ने शिकायती पत्र के आधार पर डीएम से एक ही राज्य में अलग-अलग आरटीई को लेकर नियम की जांच कर एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।
मिर्जामुराद स्थित मदरसा अल्विया पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य इस संबंध में राज्य बाल अधिकारी संरक्षण आयोग से शिकायत की है। यही नहीं वह मदरसा को आरटीई के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बीएसए कार्यालय पर दबाव भी बनाए हुए हैं। शिकायती पत्र में कहा है कि समग्र शिक्षा के सामुदायिक सहभागिता प्रदेश समन्वयक व बीएसए की उदासीनता व लापरवाही के चलते वाराणसी में मदरसा आरटीई पोर्टल पर दर्ज नहीं है। उन्होंने आयोग से आरटीई दायरे में मदरसा को भी शामिल कराने का अनुरोध किया है। इसके अलावा उनका दावा है कि उत्तर प्रदेश मदरसा परिषद की नियमावली के विरूद्ध मदरसों में कुरान की शिक्षा दी जा रही है। जबकि नियमावली में अरबी की शिक्षा देने का उल्लेख है। आयोग की सदस्य जया सिंह ने इस संबंध में भी डीएम से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने का अनुरोध किया है। दूसरी ओर बीएसए राकेश सिंह का कहना है कि अल्पसंख्यक विद्यालयों को निश्शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार-2009 के दायरे से मुक्त रखा गया है। ऐसे में मदरसा आरटीई के पोर्टल पंजीकृत नहीं हो सकता है।
शुल्क प्रतिपूर्ति का मोह
दरअसल शासन आरटीई के तहत मुफ्त दाखिला लेने वाले विद्यालयों को प्रति छात्र अधिकतम 450 रुपये की मासिक दर से शुल्क प्रतिपूर्ति भी देती है। ऐसे में छोटे विद्यालय जहां पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए ललाहित है। वहीं जिन बड़े विद्यालयों की फीस भारी-भरकम है। वह पोर्टल पर पंजीकरण कराने से कतरा रहे हैं।