भगवान जगन्नाथ को अनवरत स्नान कराने से हो गए बीमार, वाराणसी में मंदिर का पट 10 जुलाई तक बंद
नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ को भक्तों ने इतना स्नान कराया कि वे बीमार हो गए। उन्हें 17 दिनों के लिए विश्राम पर जाना पड़ा। इस दौरान वे स्वास्थ्य लाभ करेंगे। भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। ऐसा सब कुछ परंपरानुसार असि स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में गुरुवार को हुआ।
वाराणसी, जेएनएन। नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ को भक्तों ने इतना स्नान कराया कि वे बीमार हो गए। फलत: उन्हें 17 दिनों के लिए विश्राम पर जाना पड़ा। इस दौरान वे स्वास्थ्य लाभ करेंगे। भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। ऐसा सब कुछ परंपरानुसार असि स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में गुरुवार को हुआ। यह सारे स्न्नान यात्रा के कृत्य कोविद 19 की गाइड लाइन के अनुसार प्रतीकात्मक रूप से सम्पन्न हुए। मंदिर के पुजारी राधेश्याम पांडेय ने सुबह सवा पांच बजे एकल रूप में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की काष्ठ प्रतिमा को स्न्नान कराना आरंभ किया। इस दौरान भक्तों का मंदिर में प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया था।
हर वर्ष भक्तों की भीड़ को देखते हुए रात्रि नौ बजे तक सन्नान का क्रम चलता था लेकिन भक्तों के प्रवेश निषेध के कारण यह अवधि कम रही। तीनों विग्रहों के स्न्नान की धार्मिक परम्परा के निर्वाह के बाद मंदिर का कपाट आगामी 17 दिनों के लिए बंदकर दिया गया। परंपरा के अनुसार भगवान की स्न्नान यात्रा जेष्ठ पूर्णिमा को होती है। स्न्नान के बाद प्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं। इस कारण वे आराम करने के बाद आषाढ़ अमावस्या को स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। इसकेअनुसार इस वर्ष गुरुवार 24 जून जेष्ठ पूर्णिमा को ज्यादा स्न्नान कराने से बीमार होने के कारण भगवान जगन्नाथ मन्दिर का पट रात्रि नौ बजे से बंद कर दिया जाएगा। 10 जुलाई शुक्रवार (आषाढ़ कृष्ण अमावस्या ) तक मंदिर का पट बंद रहेगा। इसके बाद 18 वें दिन 11 जुलाई ( आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा ) को मंदिर का पट सुबह पांच बजे भोग और आरती के साथ खुलेगा।
उसी दिन अपराह्न चार बजे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विग्रहों का डोली श्रृंगार और रथयात्रा निकलेगी। भगवान श्रीजगन्नाथ ट्रस्ट के सचिव आलोक शापुरी के अनुसार इस वर्ष कोविद गाइड लाइन के जिलाधिकारी के आदेश के अनुपालन में सभी कृत्य सम्पन्न होंगे। इस क्रम में जगन्नाथ प्रभु की डोली यात्रा मंदिर परिसर में ही निकलेगी।