Lockdown ने छीन ली फूलों की खूशबू, Unlock 1 के बाद भी बेजार है इसका बाजार
Unlock 1 के बाद बाजार में रौनक लौटने लगी है। लेकिन शासन से मिली ढील के बावजूद भी फूलों का बाजार जोर नहीं पकड़ रहा है। इससे फूल के कारोबारी चिंतित हैैं।
वाराणसी, जेएनएन। अनलॉक के बाद बाजार में रौनक लौटने लगी है। उद्योग और व्यापार पटरी पर आने लगे हैैं लेकिन शासन से मिली ढील के बावजूद भी फूलों का बाजार जोर नहीं पकड़ रहा है। इससे फूल के कारोबारी चिंतित हैैं। सरकार भले ही 8 जून से सभी प्रतिष्ठानों को खोलने की तैयारी में हैै किंतु मंदिर के संदर्भ में अभी कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है।
यदि मंदिर खुलता भी है तो माला-फूल चढ़ाने के विषय में अभी कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। मलदहिया फूल मंडी के कारोबारी विष्णु, महेंद्र, विजय बताते हैैं कि आने वाले छह माह तक कारोबार पर ग्रहण रहने की आशंका है। वाराणसी की दोनों फूल मंडियां अभी बंद हैैं। आसपास के गांव के किसान मंडी के बाहर ही औने-पौने दाम पर फूल बेच रहे हैैं।
कारोबारियों ने बताया कि हर वर्ष जहां हम लग्न के सीजन में कोरोड़ों का व्यापार करते थे वहीं कोरोना के कारण इस बार पूरा कारोबार बर्बाद हो गया। मंदिर बंद होने से भी व्यापार को क्षति पहुंची है। भोजूवीर के फूल विक्रेता रवि जायसवाल ने बताया कि पिछले वर्ष लग्न के सीजन में फूलों का दाम आसमान पर था। लेकिन इस बार धड़ाम हो गया है। बाहर से आने वाले फूल भी नहीं आ रहे हैैं। मांग न होने के कारण स्थानीय फूलों को कम दामों पर बेचना मजबूरी है।
सारनाथ के माली जय सिंह ने बताया कि सजावट के लिए बहुत प्रकार के फूलों और सजावटी पत्तों को हिमाचल प्रदेश और कोलकाता से मंगाया जाता था। जिसमें रजनीगंधा, घोड़ापत्ता, स्टीक, पामपत्ता, जैवेरा, आरकेट, साइकस पत्ती है जो बाजार में मांग न होने के कारण व्यापारी नहीं मंगा रहे हैैं।
आंखों में आंसू ले रही कीमतें (कुंद और टेंगरी का रेट प्रति पीस के दर से, अन्य सभी प्रति सैकड़ा के दर से)
पिछले वर्ष वर्तमान में
बेला 800-1000 200-250
गुलाब 250-300 50-60
जूही 200-300 अभी सीजन नहीं है
गेंदा 3500-4000 800-100
रजनीगंधा 500-600 आवक नहीं
कुंद 500-600 100-150
टेंगरी 200-250 20-25