बलिया में सरयू का रौद्र रूप देखकर इलाकाई दहशत में, तटवर्ती इलाकों से पलायन की शुरू हुई तैयारी
कटान के कारण आस पास बसे हरख चौधरी बली चौधरी अजय संजय जोगिंदर बीरबल शुकदेव बिहारी जयप्रकाश सहित एक दर्जन लोंगों के डेरा पर खतरा बढ़ गया है। उधर कटार बनी घाघरा की लहरें लगातार खरीद के किसानों की कृषि योग्य भूमि को अपनी जद में ले रही है।
बलिया, जागरण संवाददाता। सरयू नदी में आया उफान लगातार जारी है। इसकी लहरें तटवर्ती इलाकों में तबाही मचाने को मचल रही है। हालांकि शुक्रवार के सापेक्ष शनिवार को वृद्धि की दर काफी कम रही लेकिन अभी भी धीमी गति से बढ़ाव जारी है। लगातार बढ़ते जलस्तर को देखकर तहसील क्षेत्र के तटवर्ती गांवों के लोग सहमे हुए हैं।
कई क्षेत्रों में धीरे धीरे जलभराव शुरू हो गया है। जिसके कारण ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। नदी किनारे बसे गांवो के रास्तों पर पानी चढ़ने लगा है। उधर जल स्तर बढ़ने से कटान भी शुरू हो गया है। इससे लोगों की समस्या और बढ़ गयी है। सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के किनारे अपना आशियाना बनाकर रह रहे सच्चिदानंद चौधरी का डेरा कटान की भेंट चढ़ चुका है। जबकि अभी भी तेज गति से कटान जारी है।
कटान के कारण आस पास बसे हरख चौधरी, बली चौधरी, अजय , संजय, जोगिंदर, बीरबल, शुकदेव, बिहारी, जयप्रकाश सहित एक दर्जन लोंगों के डेरा पर खतरा बढ़ गया है। उधर कटार बनी घाघरा की लहरें लगातार खरीद के किसानों की कृषि योग्य भूमि को अपनी जद में ले रही है। यही नहीं पुरुषोत्तम पट्टी, निपनिया में भी कटान शुरू हो गया है। किसान पन्ना लाल ने बताया कि अब तक दो दर्जन से अधिक किसानों का करीब 30 एकड़ भूमि नदी में समाहित हो चुकी है। जबकि कटान लगातार जारी है। वही सैकड़ो एकड़ भूमि जलमग्न हो चुकी है।